सवाल
मैं 28 साल की विवाहित स्त्री हूं. मेरा रंग सांवला है. मैं अभी प्रैगनैंट हूं. कुछ ऐसे उपाय बताएं कि बच्चा गोरे रंग का हो. क्या खानपान से इस पर कोई असर पड़ता है? कोई दूसरे घरेलू उपाय हों तो वे भी बताएं? गृहशोभा के इसी स्तंभ में कुछ समय पहले त्वचा की रंगत के पीछे मिलेनोसाइट की जानकारी दी गई थी. क्या कोई ऐसा उपाय नहीं जिस से कि बच्चे के मिलेनोसाइट अप्रभावी रह जाएं और वह गोराचिट्टा हो सके?

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जवाब
हमारे नैननक्श और दूसरे शारीरिक गुणों जैसे कदकाठी के समान हमारी त्वचा का रंग निर्धारित करने वाले मिलेनोसाइट्स के घनत्व का गणित भी हमारे जींस तय करते हैं, जो हमें अपने मातापिता और दूसरे पूर्वजों से मिलते हैं. उन्हें किसी तरह से बदला नहीं जा सकता.

यों भी किसी व्यक्ति का रूपसौंदर्य मात्र उस के रंग से निर्धारित नहीं होता. कई गहरे रंग के लोग भी गजब के सुंदर दिखते हैं और कई गोरेचिट्टे भी सामाजिक पैमाने पर सुंदर नहीं होते. अत: आप अनावश्यक ही अपने और अपने होने वाले बेबी के रंग को ले कर इतनी सैंसिटिव न हों.

प्रैगनैंसी के अनुसार समुचित मात्रा में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल युक्त आहार लें, जिस में फल, शाकसब्जियां, दूध, अंडा, दालें प्रचुर मात्रा में हों ताकि आप को और आप के बेबी को समस्त पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल सकें.

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प्रैगनैंसी से जुड़े भ्रम

विज्ञान ने आज भले ही कितनी भी तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन हमारे समाज में आज भी प्रैगनैंसी से जुड़े बहुत सारे ऐसे भ्रम हैं जो न सिर्फ घातक हैं, बल्कि कई बार जानलेवा भी साबित हो सकते हैं. आइए, जानते हैं उन के बारे में और करते हैं उन का समाधान:

भ्रम : प्रैगनैंसी में उलटी होना एक बेहद सामान्य सी बात है.

सच्चाई : यह सच है कि प्रैगनैंसी के शुरू के दिनों में उलटियां होना बहुत सामान्य बात है, लेकिन इतनी सामान्य बात भी नहीं है जितना लोग समझ लेते हैं. सच्चाई यह है कि  ज्यादा उलटियां आने से न केवल गर्भवती वरन गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान पहुंचता है. इसलिए बेहतर होगा कि आप डाक्टर से संपर्क करें.

भ्रम : नारियल खाने से बच्चा नारियल की तरह गोराचिट्टा पैदा होता है.

सच्चाई: नारियल एक ऐसा फल है जो रेशा युक्त होता है, जिस की वजह से प्रैगनैंसी के दौरान इस का सेवन लाभदायक होता है, लेकिन इस का बच्चे के रंग से कोई संबंध नहीं है.

भ्रम : प्रैगनैंसी में गर्भवती को दोगुना खाने की जरूरत होती है.

सच्चाई : इस दौरान दोगुना भोजन गर्भवती के वजन को बढ़ा कर डिलिवरी को कौंप्लिकेटेड बना सकता है. सच्चाई यह है कि इस दौरान हर महिला को सिर्फ 300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत पड़ती है.

भ्रम : ऐक्सरसाइज से बच्चे को नुकसान होता है.

सच्चाई: यह बिलकुल गलत धारणा है. सच्चाई बिलकुल इस के विपरीत है. डाक्टरों का कहना है कि इस दौरान किसी प्रोफैशनल की निगरानी में ऐक्सरसाइज करना ठीक है.

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भ्रम : अगर आप की उम्र 30 से ज्यादा है तो आप के प्रैगनैंट होने के चांसेज नहीं के बराबर हैं, इसलिए 30 साल की उम्र से पहले ही अपना पहला बेबी प्लान कर लें.

सच्चाई : आज महिलाएं अपने कैरियर को ले कर काफी सजग हो गई हैं. यही कारण है कि वे आमतौर पर 30 साल की आयु के बाद ही मां बनना पसंद करती हैं और अब यह उतना मुश्किल भी नहीं है, क्योंकि एग फ्रीजिंग और आईवीएफ तकनीक ने इसे बेहद आसान बना दिया है.

भ्रम : अगर सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान प्रैगनैंट महिला कोई काम करती है तो बच्चा अपाहिज पैदा होता है.

सच्चाई : हैरानी की बात है कि आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, फिर भी कई ऐसे लोग हैं जो इस अंधविश्वास को सच मानते हैं. इस का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है

भ्रम : अगर डिलिवरी के बाद पेट पर कोई टाइट सी बैल्ट बांध दी जाए तो टमी फ्लैट रहती है.

सच्चाई : यह बिलकुल निराधार बात है. सच्चाई यह है कि अगर कोई महिला डिलिवरी के बाद टमी को किसी टाइट बैल्ट से बांध कर रखती है तो इस से वहां का रक्तसंचार बाधित होगा जो घातक सिद्ध हो सकता है.

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