लोकसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद से भारतीय जनता पार्टी बौखलाई हुई है. उस के नेता लगातार राहुल गांधी पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. कोई मुंह से भले न कहे, भीतर से तो सभी जान रहे हैं कि भाजपा और मोदी के तिलिस्म को राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने तोड़ दिया है. रहीसही कसर इंडिया गठबंधन ने पूरी कर दी है और 400 पार का नारा देने वालों को 240 पर समेट दिया है.
उधर उत्तर प्रदेश के फायरब्रैंड भाजपाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर न्याय पर सुप्रीम कोर्ट ने हथौड़ा चला दिया है. योगी आदित्यनाथ समाज का ध्रुवीकरण करने की नीयत से मुसलिम समाज को डराने व हिंदू समाज को खुश करने के लिए प्रदेशभर में मुसलिम घरों, दुकानों को बुलडोजर से ढहा रहे थे. तुर्रा यह दिया जा रहा था कि जिन घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं वो अवैध रूप से बने थे. कोई पूछे कि जब बन रहे थे तब इन के निकम्मे प्रशासन ने क्यों नहीं रोका? तब कैसे बन गईं इतनी अवैध संपत्तियां?
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो योगी की बुलडोजर नीति की लंबे समय से आलोचना करते आ रहे हैं. इधर जब से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से राहुल गांधी पर आक्रामक टिप्पणी करने की मौन स्वीकृति भाजपा नेताओं को मिली है तभी से अखिलेश यादव के खिलाफ भी भाजपा नेता ही नहीं, योगी आदित्यनाथ तक भाषाई मर्यादा लांघ कर निंदनीय बयानबाजी कर रहे हैं. दरअसल, राहुल और अखिलेश की जोड़ी से भाजपा थर्रा रही है, इसीलिए इन दोनों पर पिली हुई है. बात आरोपप्रत्यारोप की होती तो सहन की जा सकती थी मगर जिस तरह की बातें अब सामने आ रही हैं वे नेताओं की बयानबाजी नहीं बल्कि जान से मारने की धमकियां है, जिन के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए और आरोपियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए.
भाजपा के रेल राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने 15 सितंबर को राहुल गांधी को आतंकवादी कहा. उन्होंने राहुल गांधी की नागरिकता को भी ख़ारिज करने की कोशिश की, कहा कि, राहुल गांधी हिंदुस्तानी नहीं हैं. उन को भारत से प्यार भी नहीं है. राहुल ने पहले मुसलमानों का इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो वे अब सिखों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. राहुल गांधी देश के नंबर वन टेररिस्ट हैं. उन को पकड़ने वाले को ईनाम दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे देश के सब से बड़े दुश्मन हैं. देश की एजेंसियों को उन पर नजर रखनी चाहिए.
भाजपा नेता और यूपी के मंत्री रघुराज सिंह ने भी 16 सितंबर को इंदौर में सार्वजनिक तौर पर कहा था कि नेताप्रतिपक्ष राहुल गांधी ‘भारत के नंबर वन आतंकवादी’ हैं.
दरअसल, हाल ही में राहुल गांधी अमेरिकी यात्रा पर थे जहां उन्होंने भारतीय मूल के लोगों से मुलाक़ात की और मंच से उन को संबोधित करते हुए देश के बारे में अपनी चिंता जाहिर की. राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा कि भारत में सिख समुदाय के बीच इस बात की चिंता है कि उन्हें पगड़ी और कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी या नहीं. उन के इस वक्तव्य पर भाजपा नेताओं ने राहुल को घेरना और उन पर आरोप मढ़ना शुरू कर दिया. मगर देश के नेताप्रतिपक्ष को आतंकवादी कहना न सिर्फ निंदनीय है बल्कि एक संगीन जुर्म है. एक ऐसा नेता जिस की दादी और पिता देश के प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने देश के लिए शहादत दी, जो खुद देश की सब से बड़ी पार्टी का नेतृत्व करता रहा हो, जिस के कदम से कदम मिला कर देश की जनता आज चलती हो, जिस को सुनने के लिए अपार जनसैलाब उमड़ता हो, ऐसे व्यक्तित्व को भाजपा का एक ऐसा नेता ‘आतंकवादी कह रहा है जिस ने कभी खुद कांग्रेस की गोद में बैठ कर राजनीति का ककहरा सीखा था.
रवनीत सिंह बिट्टू के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने उन की बखिया उधेड़ते हुए कहा- जिस ने राहुल गांधी के आगेपीछे घूम कर अपना राजनीतिक कैरियर बनाया, वो सत्ता के लालच में विरोधियों की गोदी में बैठ कर सस्ते बयान दे रहा है. रवनीत बिट्टू जैसों को ही शास्त्रों में आस्तीन का सांप कहा गया है.
राजनीति में नेताओं के बीच आरोपप्रत्यारोप चलते रहते हैं. वे एकदूसरे पर कटाक्ष भी करते हैं जो अखबारों की सुर्खियां बनते हैं मगर आज जिस प्रकार की बातें नेताओं की गंदी जबान उगल रही हैं वे महज बयानबाजी या कटाक्ष या भाषा की मर्यादा लांघने जैसी नहीं हैं बल्कि नेताप्रतिपक्ष को जान की धमकी और मानहानि का मामला है जिस के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
गत 16 सितंबर को महाराष्ट्र के बुलढाणा से विधायक संजय गायकवाड़ ने राहुल गांधी की जीभ काट कर लाने वाले को 11 लाख रुपए का ईनाम देने की घोषणा कर डाली. संजय गायकवाड़ ने कहा- राहुल गांधी पिछड़ों, आदिवासियों का आरक्षण खत्म करना चाहते हैं. उन्हें इस का ईनाम मिलेगा, जो भी राहुल की जीभ काटेगा, उसे 11 लाख रुपए दिए जाएंगे.
गौरतलब है कि एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि जब भारत में (आरक्षण के लिहाज से) निष्पक्षता होगी, तब हम आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेंगे. अभी भारत इस के लिए एक निष्पक्ष जगह नहीं है. उन के कहने का सीधा अर्थ था कि जिस दिन भारत के सभी लोगों को समान अधिकार प्राप्त हो जाएगा, वे आरक्षण को ख़त्म करने की बात तब सोचेंगे.
इस में उन्होंने क्या गलत कहा? मगर अपने केंद्रीय आका को खुश करने के लिए कमअक्ल, बददिमाग और बदजबान भाजपा नेता सदन के नेताप्रतिपक्ष को जान की धमकी खुलेआम देने लगे और मोदी-शाह व उन की पुलिस गायकवाड़ जैसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय तमाशा देखती रही.
याद होगा 13 अप्रैल, 2019 को, आम चुनाव से पहले भारत के कर्नाटक के कोलार में एक राजनीतिक रैली के दौरान राहुल गांधी ने हिंदी में टिप्पणी करते हुए कहा था, “सभी चोर, चाहे वह नीरव मोदी, ललित मोदी या नरेंद्र मोदी हों, उन के नाम में मोदी क्यों होता है?” इस टिप्पणी पर उन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज हुआ था और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपनाम को बदनाम करने के आरोप में 2 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी. इस के चलते राहुल गांधी को 24 मार्च, 2023 को भारतीय संसद के निचले सदन (लोकसभा) के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. मगर अब जबकि संजय गायकवाड़ राहुल गांधी की जीभ काटने की धमकी दे रहे हैं और रवनीत सिंह बिट्टू और रघुराज सिंह उन को आतंकवादी घोषित कर रहे हैं, तो इन के खिलाफ पुलिस का कोई ऐक्शन न होना और इन्हें गिरफ्तार न किया जाना देश की न्याय प्रणाली को कठघरे में खड़ा करता है.
धमकियों का सिलसिला इन्हीं 3 नेताओं तक सीमित नहीं है. सदन के भीतर बातबात पर बेतुकी कविताएं सुनाने वाले रामदास अठावले भी बदजबानी में आगे हैं. अठावले कहते हैं- राहुल गांधी विदेश में जा कर देश की प्रतिष्ठा को गिराते हैं, उन का पासपोर्ट रद्द होना चाहिए. वहीं भाजपा सांसद अनिल बोंडे भी राहुल की जीभ काट लेने का मशवरा देते हैं. भाजपा नेता तरविंदर सिंह ने तो अपनी सड़कछाप भाषा का परिचय दिया, एक्स पर लिखा- राहुल गांधी बाज आ जा, नहीं तो आने वाले टाइम में तेरा भी वही हाल होगा, जो तेरी दादी का हुआ.
यानी, भाजपा नेता खुलेआम देश के नेताप्रतिपक्ष को हत्या की धमकी दे रहा है. यह बेहद गंभीर मामला है. ये सभी भाजपा की नफरत की फैक्ट्री के प्रोडक्ट हैं और इन पर कठोर से कठोर कार्रवाई इसलिए होनी चाहिए क्योंकि ये देश के युवाओं को हत्या और मारकाट के लिए उकसा रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अगर इन धमकियों पर खामोशी ओढ़े हुए हैं तो माना जाना चाहिए कि उन की मौन स्वीकृति भाजपा नेताओं को मिली हुई है. इन के पाप और अपराध में वे बराबर के शरीक हैं.
नेता की भाषा उस के राजनीतिक स्तर को मापने का एक पैमाना होती है. इस में नेता का स्तर रिफ्लैक्ट होता है. अगर भाजपा नेता ऐसी आपराधिक बातें कह रहे हैं तो देश की जनता को समझ लेना चाहिए कि देश अगर ऐसे लोगों के हाथों में रहा तो आने वाले वक्त में चारों तरफ अपराध और अराजकता का बोलबाला होगा.
राहुल गांधी पर भाजपा द्वारा लगाए गए आरोप और उन को दी जा रही धमकियां केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं हैं बल्कि भारतीय लोकतंत्र, राजनीति और समाज के मूल्यों पर भी हमला हैं. जनता को यह समझना होगा कि यह राजनीति का गिरता स्तर है और इसे सुधारने की जिम्मेदारी जनता पर ही है.
भारतीय राजनीति में विचारधारा, मूल्यों और सिद्धांतों का अपना विशेष महत्त्व है. यह न केवल देश के विकास और स्थायित्व के लिए आवश्यक है बल्कि यह जन के प्रति राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी का भी प्रमाण होता है. लेकिन जब राजनीति में व्यक्तिगत हमले, अनर्गल आरोप और मिथ्या प्रचार का सिलसिला शुरू हो जाता है, तो यह राजनीति के गिरते स्तर को ही दर्शाता है.
भारतीय जनता पार्टी जिस तौरतरीके की राजनीति करना चाह रही है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए अस्वीकार्य है. यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि स्तर की इस गिरावट पर प्रधानमंत्री की चुप्पी वाचाल वर्ग को प्रोत्साहन दे रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेताप्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भाजपा द्वारा लगाए गए अनर्गल आरोप इसी विकृत मानसिकता का परिचायक हैं. भाजपा का बारबार राहुल गांधी के खिलाफ इस प्रकार के आरोप लगाना उस के राजनीतिक भय का भी बड़ा प्रमाण है. चूंकि राहुल गांधी देशहित में सरकार से लगातार सवाल पूछते हैं, गांव, गरीब, मजदूर और किसान की आवाज उठाते हैं, महिला उत्पीड़न के मामलों को राष्ट्रीय मुद्दा बनाते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री के संरक्षण और प्रोत्साहन से केंद्र सरकार के मंत्री से ले कर अलगअलग राज्यों के विधायक तक गैरजरूरी व अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं.
राहुल गांधी पर लगाए जाने वाले आरोप और भाजपा द्वारा अपनाई जा रही यह रणनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है. प्रजातंत्र की मौलिक परिभाषा में यह एक स्थापित तथ्य और सत्य है कि स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष का स्थान और सम्मान महत्त्वपूर्ण होता है. विपक्ष सरकार की नीतियों की आलोचना करता है और जनता की आवाज उठाता है. लेकिन जब विपक्ष के शीर्ष नेतृत्व पर नितांत निराधार व्यक्तिगत हमले होते हैं, तो यह सदन की गरिमा और गंभीरता के साथ लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर करता है. राहुल गांधी पर लगाए गए आरोप अल्पजीवी चर्चा तो बटोर लेते हैं लेकिन लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रति जनता के विश्वास को कमजोर कर देते हैं. इस से जनता के बीच यह संदेश जाता है कि राजनीति में विचारधारा और सिद्धांतों के बजाय व्यक्तिगत हमले ही प्रमुख हो गए हैं.
भाजपा अपनी नफरत से भरी वैचारिक विचारधारा और बांटने की राजनीतिक भावना को बढ़ावा देती है जबकि कांग्रेस एक धर्मनिरपेक्ष और समावेशी समाज की वकालत करती है. इस वैचारिक संघर्ष में बारबार हारने के बावजूद भाजपा राहुल गांधी को केवल इसलिए निशाना बनाती है क्योंकि वह कांग्रेस की विचारधारा के आगे आज भी खुद को बौना पाती है, परास्त होती है और बौखला कर बेशर्मी व अपराध की राह पकड़ती है.