9 नवंबर, 2016 को चुने गए मगर 20 जनवरी, 2017 को सुपरपावर देश माने जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल में अमेरिका ‘आने वाले कई सालों के लिए’ दुनिया की दिशा तय करेगा.

अब जब उनका कार्यकाल पूरा होने को है, चुनाव सिर पर हैं और उनके नेतृत्व में अमेरिका पूरी दुनिया की क्या, खुद अपनी ही दिशा तय नहीं कर पा रहा, तो 'सुपरपावरमैन' के सुर बदल गए.

आज 23 अप्रैल, 2020 को वाशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "हम पर हमला हुआ. यह हमला था. यह कोई फ्लू नहीं था. कभी किसी ने ऐसा कुछ नहीं देखा, 1917 में ऐसा आखिरी बार हुआ था." उनका यह बयान नोवल कोरोनावायरस व कोविड-19 को लेकर है.

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'अमेरिका फर्स्ट' नारे से अमेरिकियों को लुभा कर सबसे ताकतवर कुरसी पर बैठने के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने तानाशाही रवैया अख्तियार कर लिया था. ऐसा उनका नेचर भी है.

ट्रंप आज कोरोना वायरस की महामारी पर क़ाबू पाने से ज़्यादा इस संकट में घिर कर और उलझ कर रह गए हैं. आने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रंप जब भी कोई मुद्दा तैयार करते हैं, कोरोना संकट उस मुद्दे की हवा निकाल देता है. उन के पास बीते दिनों को याद करने और दुखड़ा रोने के अलावा कुछ नहीं रह गया है.

वे प्रेस कौन्फ़्रेन्सों में यह कहते सुनाई देते हैं कि हमारे पास दुनिया की सबसे मज़बूत इकोनौमी थी. हमारी परफ़ौर्मेन्स चीन और दुनिया के हर देश से बेहतर थी. हमारे पास सबसे बड़ा बाज़ार था.

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