विजयलक्ष्मी पंडित और जवाहरलाल नेहरू भारतीय राजनीति की पहली भाईबहन जोड़ी थी जिस ने सक्रिय राजनीति में अपना एक मुकाम बनाया था. एकदूसरे का साथ दिया. जवाहरलाल नेहरू आजाद देश के पहले प्रधानमंत्री बने तो उन की बहन विजयलक्ष्मी पंडित देश की आजादी से पूर्व कैबिनेट पद संभालने वाली पहली महिला बनीं. वे संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला भी थीं. वहीं, वे महाराष्ट्र की राज्यपाल रहीं और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया. आज के दौर में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की जोड़ी एकदूसरे की पूरक है.
2024 के आम चुनाव में रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस की साख दांव पर लगी थी. ऐसे मे प्रियंका गांधी ने इन दोनों सीटों पर चुनाव प्रबंधन को जिस तरह से संभाला उस से राहुल गांधी की तमाम परेशानियां कम हुईं. राजनीति के क्षेत्र में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की जोड़ी को ले कर तमाम लोग उन को एकदूसरे का विरोधी मानते हैं. इस तरह की बहुत सी खबरें चर्चा में रहती हैं. इस के इतर सचाई यह है कि राहुल और प्रियंका के बीच बहुत अच्छे स्तर पर रिश्ते हैं. प्रियंका एक ताकत के रूप में राहुल गांधी के साथ रहती हैं. राहुल गांधी जिस मसले में परेशान होते हैं, उन को आगे का रास्ता समझ नहीं आता तो वहां पर प्रियंका उन के काम को संभाल लेती हैं.
राहुल और प्रियंका के बीच यह समझदारी कई मौकों पर दिखती भी है. दोनों सब के सामने अपने स्नेह और प्यार का सम्मान करते हैं. गले लगाते हैं तो कभी बच्चों की तरह से बर्फ के गोले से खेलते नजर आते हैं. राहुल के स्वभाव और प्रियंका के स्वभाव में अंतर है. राहुल थोड़ा गुस्से वाले हैं लेकिन प्रिंयका अपना गुस्सा जाहिर नहीं होने देतीं.
राहुल गांधी को मजबूत करने के लिए ही प्रियंका गांधी ने कांग्रेस महासचिव बनाए जाने पर अपनी सहमति दी थी. इस से कांग्रेस में एक ताकत आई है. कांग्रेस प्रियंका गांधी में इंदिरा जैसी कथित छवि देखती है. प्रियंका मुखर होने के साथ ही राजनीतिक मिजाज रखती हैं. वे राहुल गांधी की सहयोगी की ही तरह से काम कर रही हैं. उन के बीच विरोधियों को भले ही प्रतिस्पर्धा दिखती हो, असल में उन के बीच बहुत समझदारी है.
तेजस्वी और रोहिणी आचार्य
बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने जब 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया तो विरोधियों ने कहना शुरू किया कि इस से लालू परिवार में आपस में झगड़ा बढ़ेगा. सब से ज्यादा मुश्किल तेजस्वी यादव को होगी क्योंकि परिवार की राजनीति में लालू का असली वारिस उन को ही समझा जा रहा है. इस के बाद भी रोहिणी चुनाव मैदान में उतरीं. वे बिहार की सारण सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं.
रोहिणी लालू यादव की दूसरी बेटी हैं जो चुनाव मैदान में हैं. वे अपने परिवार के पक्ष में सोशल मीडिया पर पहले से ही ऐक्टिव रही हैं. पिछले साल लालू यादव को किडनी डोनेट करने के बाद से वेह सुर्खियां में रही हैं. जब लालू यादव से प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी पूछताछ कर रहे थे, तब भी रोहिणी आचार्य सोशल मीडिया पर आगे बढ़ कर राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ तीखे पोस्ट लिख रही थीं.
लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं. तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव विधायक हैं. रोहिणी परिवार की चौथी सदस्य हैं जो राजनीति के मैदान में हैं. रोहिणी आचार्य सिंगापुर में अपने पति और बच्चों के साथ रहती हैं. बिहार की सारण लोकसभा सीट से उन का मुकाबला बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी से है. सारण वही लोकसभा सीट है जहां से लालू यादव 1977 में पहली बार लोकसभा पहुंचे थे और आखिरी बार भी वहीं से सांसद थे. डीलिमिटेशन से पहले सारण का नाम छपरा लोकसभा सीट हुआ करता था.
लालू यादव अब तक 4 बार इस इलाके से संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. 2013 में चारा घोटाले में सजा हो जाने के चलते लालू यादव की संसद सदस्यता रद्द हो गई थी और उन के चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लग गई. अब भी वो जमानत पर ही जेल से बाहर हैं. 2014 में यह इलाका लालू परिवार के हाथ से छिटक कर बीजेपी के हिस्से में चला गया.
खास बात यह रही कि 2014 में राबड़ी देवी को आरजेडी का उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी से वो चुनाव हार गईं. 2019 में आरजेडी ने लालू यादव के समधी चंद्रिका राय को उम्मीदवार बनाया था लेकिन बीजेपी ने कब्जा बरकरार रखा.
लालू यादव सहित परिवार के 5 लोग राजनीति में सक्रिय हैं. आरजेडी की कमान फिलहाल तेजस्वी यादव के हाथ में है. बिहार के 2 बार डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव फिलहाल विधायक हैं. उन के बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी विधायक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी विधान परिषद सदस्य हैं, जबकि लालू यादव की बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं. अब रोहिणी यादव के चुनाव लड़ने के बाद वे भी राजनीति में हैं.
विरोधी भले ही इस को प्रतिस्पर्धा के रूप में देख रहे हों लेकिन जिस तरह तालमेल के साथ रोहिणी और तेजस्वी यादव चुनाव लड़ रहे हैं उस से भाजपा के सामने संकट खड़ा हो गया है. बिहार राजनीति में ये तीनों भाईबहन पूर्व मुख्यमंत्री लालू और राबड़ी यादव की विरासत को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं. तेजस्वी, तेजप्रताप और मीसा भारती चुनाव राजनीति को संभाल रहे हैं.
दक्षिण की राजनीति में भाईबहन
तमिलनाडु की राजनीति में एम के स्टालिन और कनिमोझी राजनीति के सब से मजबूत भाईबहन हैं. ये दोनों तमिलनाडु में अब पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं. कनिमोझी करुणानिधि की बेटी हैं और एम के स्टालिन उन के बेटे हैं. स्टालिन इस समय तमिलनाडू के मुख्यमंत्री हैं और कनिमोझी इस समय सांसद के रूप में केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं.
तेलंगाना की राजनीति में के कविता और के टी रामाराव भाईबहन की जोड़ी पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हैं. के कविता तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी हैं और के टी रामाराव इन के बेटे हैं और भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. के टी रामाराव प्रदेश के पूर्व उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, नगरपालिका प्रशासन और शहरी विकास राज्यमंत्री रहे हैं.
वही के कविता विधायक हैं. ये दोनों ही भाईबहन पिता की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं. के टी रामाराव बहन के कविता के साथ मजबूती से खड़े हैं. जब दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ई डी ने के कविता को गिरफ्तार किया तो भाई मजबूती से उन के साथ खड़ा था. वे दिल्ली तक गए और अपना विरोध दर्ज कराया.
राजनीति से अलग भी एकदूसरे की पूरक रही हैं भाईबहन की जोड़ियां
सारा अली खान नई जेनरेशन के स्टार किड्स में फेमस चेहरा हैं. वे बौलीवुड में 3 साल पहले डैब्यू कर चुकी हैं. सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव हैं वे. सारा अकसर इब्राहिम के साथ अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर वैकेशन की फोटो और वीडियो शेयर करते रहती हैं. दोनों ही भाईबहन के फनी वीडियो लोग काफी पसंद भी करते हैं. इब्राहिम के साथ वैकेशन पर बिकिनी फोटो शेयर करने को ले कर दोनों ही ट्रोल्स के निशाने पर भी रहते हैं.
सारा और इब्राहिम की तरह ही आर्यन खान और सुहाना खान की भाईबहन की जोड़ी भी हिट है. इन की गिनती स्टाइलिश सिबलिंग में भी होती है. आर्यन खान के ड्रग्स मामले में पूरा खान परिवार उन के पीछे सपोर्ट सिस्टम के साथ खड़ा रहा. बहन सुहाना ने भी ऐसा ही किया. गिरफ्तारी से ले कर रिहाई तक सुहाना आर्यन के साथ वाली तसवीर शेयर कर के अपना प्यार जाहिर करती रहीं.
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और उन की बहन भावना एकदूसरे के बेहद क्लोज हैं. भावना कोहली से बड़ी हैं लेकिन दोनों का रिश्ता दोस्तों जैसा है. पिता की मौत के बाद से वो विराट के जीवन में गार्जियन के रोल में भी रही हैं. वो कोहली के फैशन लेबल वन सैलेक्ट की सदस्य भी हैं.
भावना विराट की पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ भी अच्छा बौंड शेयर करती हैं. आईपीएल में फाइनल से बाहर होने पर भावना ने भाई के समर्थन में इंस्टाग्राम पर एक स्पैशल नोट लिखा था. भावना के इस स्पैशल नोट को लोगों ने काफी सराहा था.
सनातन में भाईबहन की दूरी
जिन राजनीतिक दलों पर सनातन धर्म का प्रभाव है वहां पर भाईबहन की आपस में दूरी दिखती है. ऐसा नहीं कि इन दलों में परिवारवाद नहीं है. इस के बाद भी भाई के सामने बहन को आगे नहीं बढ़ाया जाता है. इस की वजह यह है कि धर्म भाईबहन के बीच एक दीवार खड़ी करता है. वहां यह नहीं बताया जाता कि भाईबहन समान हैं. वहां कहा जाता है कि बहन छोटी हो या बड़ी, उसे भाई की दबाव में रहना चाहिए. महाभारत में द्रौपदी का जब चीरहरण हो रहा था तो उस के सगे भाई धृष्टधुम्न और सत्यजीत उस को बचाने के लिए नहीं आए. द्रौपदी को बचाने उन के बालसखा और मुंहबोले भाई के रूप कृष्ण को ही आना पड़ा.
रामायण में रावण अपनी बहन शूर्पणखा का बदला लेने आया. असल में सनातन सोच में भाई और बहन को अलगअलग देखा जाता है. रावण ने शूर्पणखा के लिए सीता का अपहरण किया जो एक गैरसनातनी का भाईबहन का प्यार था. गैरसनातनी हिडिंबा की भाई से बनती थी, इसीलिए भाई ने उसे ही पांडवों को भगाने के लिए भेजा पर सनातनी पांडवों ने हिडिंबा को ऐसे ही पटा लिया जैसे भाजपा आज कांग्रेस नेताओं को पटाती है.
हिंदू रीतिरिवाजों में यह माना जाता है कि बहन को शादी के बाद दूसरे घर जाना होता है. वह पराई होती है. उस का अपने पिता के घर से रिश्ता नहीं होता है. उस का भाई जैसा हक पिता की जायदाद में नहीं होता है. हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के तहत, एक विवाहित बेटी अपने पिता की पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर हिस्सेदारी की हकदार है. 2005 का संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि विवाहित बेटियों सहित बेटियों को भी संपत्ति में बेटे के समान अधिकार है.
यह बात और है कि कानून ने 2005 में बहनों को भी पिता की संपत्ति में बराबर का हक दिया है. इस के बाद भी अभी तक बहनों को हक मिला नहीं है. धर्म के प्रभाव से बहनों को भाई का पूरक नहीं, हिस्सेदार माना जाता है. ऐसे में आपस में रिश्ते अच्छे नहीं होते हैं. आमतौर पर देखा जाता है कि जब तक मातापिता जीवित रहते हैं, भाईबहन के रिश्ते अच्छे होते हैं; जैसे ही पेरैंट्स नहीं रहते, ज्यादातर के रिश्ते खराब हो जाते हैं.
ऐसे में भाईबहन की ऐसी सैलिब्रिटी जोड़ियां भी हैं जो एकदूसरे का पूरक बन कर साथ देते हैं. आज के दौर में जहां रिश्ते कम हो रहे हैं, भाईबहन को हिस्सेदार नहीं, पूरक बन कर एकदूसरे का सहयोग करना चाहिए.