लखनऊ महोत्सव का अयोजन लखनऊ में हर साल होता है. कला संस्कृति से जुडा यह महोत्सव लखनऊ की अपनी पहचान होती थी. हर साल नवम्बर-दिसम्बर माह में इसका आयोजन बडे धूमधाम से सरकारी खर्च पर होता था. देशविदेश के तमाम कलाकार इसमें हिस्सा लेते थे. मुख्यमंत्री और राज्यपाल इसके उदघाटन और समापन में अपना समय देते थे.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लखनऊ का आयोजन तय समय पर नहीं किया. इसके लिये नगर निगम चुनाव होने का बहाना किया गया. नगर निगम चुनाव नवम्बर में था देखा जाये तो दिसम्बर में लखनऊ महोत्सव का आयोजन किया जा सकता था. जिससे उसकी अलग पहचान बनी रहती. उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार 24 जनवरी का उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाने की शुरूआत की.
ऐसे में लखनऊ महोत्सव को उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का एक हिस्सा बना दिया गया. जिसके तहत 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाया जायेगा. यह 3 दिन चलेगा, 27 जनवरी से 2 फरवरी तक लखनऊ महोत्सव के लिये तय है.
उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाने का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने अखिलेश सरकार के समक्ष भी रखा था. तब यह आयोजन नहीं हो पाया. योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाने का फैसला किया. योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस को भव्य तरीके से मनाने का फैसला किया. अब इसमें उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू सहित राज्यपाल और मुख्यमंत्री इसमे हिस्सा लेगे. इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा विज्ञापन में दी गई जानकारी को देखने के बाद साफ झलकता है कि उत्तर प्रदेश महोत्सव लखनऊ महोत्सव पर भारी पड रहा है.
24 जनवरी 1950 को संयुक्त प्रांत का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रखा गया था. इस वजह से 24 जनवरी को ही उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस माना गया. राज्यपाल राम नाइक ने उत्तर प्रदेश दिवस मनाने के औचित्य पर तर्क देते बताया कि हम महाराष्ट्र दिवस पहले मनाते थे. ऐसे में उत्तर प्रदेश दिवस मनाने का ख्याल आया. सरकार से जुड़े सूत्र कहते है अभी यह तय नहीं है कि आगे से लखनऊ महोत्सव और उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस एक साथ होगे या अलग अलग. जिस तरह से योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश महोत्सव को बडे स्तर पर मनाने की योजना बनाई है उससे साफ दिख रहा है कि आगे भी लखनऊ महोत्सव को उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस से जोड कर मनाया जाए.
लखनऊ महोत्सव में लखनऊ की कला संस्कृति की झलक दिखती थी. अब उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस के जुडने से पूरे प्रदेश की गतिविधियों को शामिल किया जायेगा. जिससे लखनऊ की कला संस्कृति को अहम जगह नहीं मिल पायेगी. ऐसे में लखनऊ का पुराना गौरव नहीं दिख सकेगा. इस बार यह महोत्सव अवध शिल्पग्राम में मनाया जा रहा है. सरकार ने अपने प्रचार में साफ लिखा है ‘नव निर्माण-नवोत्थान-नव-कार्य-संस्कृति‘. जिससे साफ है कि इस उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस से लखनऊ महोत्सव की पहचान भी बदल जायेगी.