बसपा की दलित राजनीति को कुंद करने और डौक्टर अंबेडकर को भाजपा की विचारधारा के करीब दिखाने की कोशिश करते उत्तर प्रदेश सरकार ने उनका नाम बदल दिया है. इस संबंध में प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन जीतेन्द्र कुमार ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव उत्तर प्रदेश शासन के साथ ही साथ सभी विभागों के प्रमुख और उच्च न्यायलय इलाहाबाद लखनऊ के निबंधक को 28 मार्च 2018 पत्र लिख कर इस बारे में जानकरी दी है.

अपने पत्र में प्रमुख सचिव ने लिखा है कि भारत के संविधान की अष्ठम अनुसूची (अनुच्छेद 344(1) और 351) भाषायें में ‘डौक्टर भीमरावअंबेडकर’ का नाम ‘डौक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर’ लिखा है. शासन द्वारा विचार करने के बाद सभी अभिलेखों में अंकित ‘डौक्टर भीमरावअंबेडकर’ का नाम संशोधित कर ‘डौक्टर भीमराव रामजी अंबेकर’ करने का निर्णय लिया गया है.

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अपने पत्र में प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन जीतेन्द्र कुमार ने सभी को लिखा है कि संबधित अभिलेखों में ‘डौक्टर भीमराव अंबेडकर’ का नाम‘डौक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर’ करने के संबंध में कार्यवाही करने का कष्ट करें. सरकार के इस फैसले को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. इसे उत्तर प्रदेश सरकार के दलित कार्ड के रूप में देखा जा रहा है. बसपा डौक्टर अंबेडकर को लेकर पार्टी को उनका अनुयाई बताती है. भाजपा नहीं चाहती कि बसपा ही डौक्टर अंबेडकर के नाम पर दलित वोट ले जाये. ऐसे में उसने डौक्टर अंबेडकर के नाम को मुद्दा बनाने का काम किया है.

भाजपा इसके पहले महात्मा गांधी और सरदार पटेल को लेकर भी अपने अलग दावे कर चुकी है. जिससे कांग्रेस केवल उनके नाम का लाभ न ले सके. डौक्टर अंबेडकर के पूरे नाम को सामने लाकर भाजपा ने उत्तर प्रदेश में दलित कार्ड खेलने की कोशिश में है जिससे सपा-बसपा के गठबंधन का मुकाबला किया जा सके.

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