देश कहने को ही कृषि प्रधान रह गया है, नहीं तो है यह दरअसल में चुनाव प्रधान जिसमें आए दिन सरपंची से लेकर राष्ट्रपति पद तक के चुनाव होते रहते हैं. चुनाव कोई भी हो बड़ा दिलचस्प होता है इसका रोमांच सट्टे के नंबरों और घुड़दौड़ सरीखा होता है. अंदाजा सही निकला तो चेहरे पे यह गुरूर कि देखा हमने तो पहले ही कह दिया था कि फलां ही जीतेगा, फिर ढिकाना चाहे कितना ही ज़ोर लगा ले, अंदाजा गलत निकले तो भी रेडीमेड खीझ मिटाऊ वक्तव्य पान की पीक की तरह रिसते रहते हैं, मसलन अरे वो तो बाल बाल चूक गए, राजनीति हो गई, नहीं तो जीतता तो फलाना ही.
चुनावी अंदाजों का अपना अलग महत्व है जिसमे बुद्धिमान वही माना जाता है जिसका अंदाजा सटीक या फिर नतीजे के सबसे नजदीक होता है. चुनाव पूर्व सर्वे जो अक्सर गलत निकलने लगे हैं एक तरह से अंदाजा ही होते हैं, बिलकुल तीर और तुक्के की तरह. कुछ चुनावों मे सर्वे या अंदाजों की कोई अहमियत नहीं होती, इसलिए वहां बुद्धि का दांव उम्मीदवारों पर लगाया जाता है. राष्ट्रपति पद के चुनाव में यही हुआ था किसी को खासतौर से अंदाजों को सुर्खियां बनाकर पेश करने बाले मीडिया और उसमें भी न्यूज़ चेनल्स को इल्म तक नहीं था कि रामनाथ कोविंद को भी एनडीए उम्मीदवार बना सकती है, इसलिए उसने सुषमा स्वराज या सुमित्रा महाजन को अगली महामहिम मानते उनकी जीवनियां तक दिखानी शुरू कर दी थीं.
जाहिर है नरेंद्र मोदी ने अंदाजवीरों से यह कहने का मौका छीन लिया कि देखा.... . अब इस बात पर खेद व्यक्त करने की हिम्मत तो कोई करता नहीं कि हमारा यह या वह अनुमान गलत निकला, आगे से हम और ज्यादा अनुमान विशेषज्ञों की सेवाएं लेकर ही आपको अंदाजे परोसेंगे, तब तक आप हमारे साथ बने रहिए. अपनी खिसियाहट को खूबसूरत मोड देते मीडिया आदतन विश्लेषण करने पर उतारू हो गया कि इन इन और उन उन वजहों के चलते कोविन्द को उम्मीदवार बनाया गया. इधर वोटों के हिसाब किताब से साफ हो गया कि कोई बड़ी अनहोनी भी यूपीए की मीरा कुमार को नहीं जिता सकती तो कैमरे और कलमें बिहार की संभावित टूट फूट और गुजरात का रुख करने लगीं कि वहां किसकी क्या हैसियत है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन