गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ और उमा भारती के बीच भाजपा नेतृत्व ने परिवर्तन यात्राओं के समय उमा को तवज्जों देते हुये योगी को नकार दिया है. जिससे योगी के मुख्यमंत्री पद की दौड़ पर ब्रेक लग गया है. इससे योगी के समर्थकों को भारी निराशा हुई है. योगी समर्थक दबी जुबान से कह रहे हैं कि योगी की बढ़ती लोकप्रियता से भाजपा के कुछ बड़े नेता घबराते हैं. जिस वजह से योगी की जगह पर उमा भारती को तवज्जों दी जा रही है. जबकि उमा भारती उत्तर प्रदेश की नेता नहीं हैं. प्रदेश में उनका कोई जनाधार नहीं है. उमा बड़ी मुश्किल से अपनी लोकसभा सीट जीत पाई थी. योगी आदित्यनाथ का लोकसभा चुनाव में व्यापक असर था. पूर्वी उत्तर प्रदेश के 5 से 6 जिलों में योगी को अपना व्यापक जनाधार है.
जब भाजपा में मुख्यमंत्री पद के नेता की बात चलती है तो योगी को सबसे ज्यादा भाव मिलता है. चुनाव पूर्व हुये एक सर्वे में लोगों से उनकी पसंद के मुख्यमंत्री के नाम पूछे गये तो समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव 31 फीसदी लोगों को पंसद थे. बहुजन समाज पार्टी की मायावती को 27 फीसदी लोगों ने पंसद किया. सबसे चौंकानें वाली बात यह थी कि भाजपा के नेताओं में योगी आदित्यनाथ का नम्बर सबसे उपर था. उनको 24 फीसदी लोगों ने पंसद किया.
योगी के एक समर्थक कहते हैं कि अखिलेश वर्तमान में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं. मायावती 4 बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. उनके मुकाबले प्रदेश के लोग योगी को पंसद कर रहे हैं. यह योगी की लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है. जबकि योगी प्रदेश सरकार में कभी मंत्री तक नहीं रहे.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मैदान मारने के लिये हर दल अपनी रथ यात्रा निकाल रहा है. भाजपा ने 4 परिवर्तन रथ यात्रा निकाल कर अपना प्रचार शुरू किया. भाजपा के पास उत्तर प्रदेश में कोई एक चेहरा नहीं है, जिससे वह मुख्यमंत्री के रूप में जनता के सामने रख सके. ऐसे में भाजपा ने बीच का रास्ता निकालते हुये परिवर्तन रथयात्रा में 6 चेहरों का आगे कर दिया. इनके फोटो रथ यात्रा पर लगाये गये. इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, उमा भारती और प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य शामिल है. इन 6 लोगो में उमा भारती का नाम चौंकाने वाला है. उमाका न तो उत्तर प्रदेश में कोई जनाधार है और न कोई आकर्षण.