उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेसी सरकार का सपना पाले पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश की बदहाली पर निशाना साधते हुये ‘27 साल यूपी बेहाल’ का नारा दिया. कांग्रेस के लिये अच्छी बात यह है कि इन 27 सालों की बदहाली के लिये वह सपा, बसपा और भाजपा जैसे विरोधी दलो को निशाने पर ले सकती है. कांग्रेस के इस तर्क में दम भी है.

देश में विकास की गति आर्थिक उदारीकरण की नीतियों के चलते 1990 के बाद तेज हुई. उत्तर प्रदेश और बिहार इस राजनीति के दो प्रमुख केन्द्र बिन्दू बन गये. अयोध्या का राम मंदिर जहां धर्मिक धुव्रीकरण का जरीया बना वहीं मंडल की राजनीति ने बिहार को सबसे अधिक प्रभावित किया.

इन 27 सालों में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बहुजन समाज पार्टी की सरकार रही है. उसके बाद समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने सरकार चलाई है. मंडल की राजनीति ने न दलित और पिछड़ों का न कोई भला किया और न प्रदेश का. मंडल की राजनीति ने धार्मिक दूरियों को बढ़ाने का काम किया. इस कारण उत्तर प्रदेश जैसी गंगा जमुनी सभ्यता वाले प्रदेश में आजमगढ़ जैसे जिले को आतंकवाद के नाम से पहचाना जाने लगा.

राजनीति में उत्तर प्रदेश परिवारवाद, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की मिसाल बन गया. नई राजनीति की पहचान के लिये प्रदेश में पार्क, चैराहे सब मूर्तियों से पट गये. मूर्तिपूजा ने विकास की गति को रोक दिया. उस समय प्रदेश में कोई कल कारखाना नहीं लगा. किसी नहर का निर्माण नहीं हुआ. जरूरत के हिसाब से बिजली घर नही बने. यहां के लोग रोजगार के लिये पलायन करने लगे.

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