बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिये उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव जीतने से जरूरी खुद की ब्रांडिंग करना महत्वपूर्ण है. नीतीश कुमार बिहार में लगातार तीन बार से मुख्यमंत्री है. उनकी स्वच्छ और साफ छवि है. बिहार में उनको ‘सुशासन कुमार’ के नाम से भी जाना जाता है. गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई नेताओं में नीतीश कुमार राष्ट्रीय नेताओं में सबसे बडे कद के नेता है. नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को बहुत गंभीरता से लिया है. इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वह चुनावी साल में 4 बार उत्तर प्रदेश में किसी न किसी रूप से रैली कर चुके हैं. बिहार में शराब बंद कर चुके नीतीश कुमार अब उत्तर प्रदेश में शराब बंदी और सुशासन को मुद्दा बना रहे हैं. नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार पर शराब बंद करने का दबाव बना दिया है. वह विधानसभा चुनावों में शराब बंदी को मुख्य मुद्दा बनाना चाहते है.
बसपा से अलग हुये आरके चौधरी के बीएस-4 पार्टी की रैली में हिस्सा लेने लखनऊ आये नीतीश कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी प्रकार के चुनावी गठबंधन पर कोई राय नहीं दी. बिहार में बना महागठबंधन उत्तर प्रदेश में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा, इस बात के अब तक कोई संदेश नहीं हैं. बिहार के महागठबंधन में कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव का राष्ट्रीय जनता दल गठबंधन में चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है. लालू प्रसाद यादव ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है. वह समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह से अपनी रिश्तेदारी के चलते यह फैसला ले रहे हैं. कांग्रेस अभी गठबंधन से भले ही इंकार कर रही हो, पर देर सबेर वह गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है. नीतीश से गठबंधन कर कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में बहुत लाभ नहीं होने वाला. ऐसे में वह अभी नीतीश की ताकत को देख रही है.
यह सच है कि उत्तर प्रदेश में नीतीश कुमार की ताकत बहुत नहीं है. वह उत्तर प्रदेश में बड़ा जनाधार नहीं रखते. ऐसे में चुनाव जीतना बहुत मुश्किल काम है. इसके बाद भी नीतीश कुमार जिस तरह से चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश में अपना फोकस बढ़ा रहे है उससे साफ है कि वह उत्तर प्रदेश चुनाव के बहाने अपनी ब्रांडिग करना चाहते हैं. नीतीश का निशाना 2019 के लोकसभा चुनाव हैं, जहां पर वह खुद को भाजपा के नेता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुकाबले पेश कर सके. उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है. देश की राजनीति करने के लिये उत्तर प्रदेश में जड़े जमाना जरूरी होता है. भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी ने भी इसीलिये उत्तर प्रदेश को अपना लोकसभा क्षेत्र चुना. यह सही है कि नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड का उत्तर प्रदेश में कोई बडा जनाधान नहीं है. ऐसे में उसको केवल अपने नेता नीतीश कुमार की ब्रांडिंग का लाभ लेना चाहती है.
एक बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की उपयोगिता साबित हो गई तो उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर उनको अपनी दावेदारी पेश करने में मदद मिलेगी. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की पहले जैसी सफलता मिलती नहीं दिख रही. कांग्रेस में भी बहुत सुधार नजर नहीं आ रहा. ऐसे में नीतीश कुमार सबसे योग्य चेहरा के रूप में खुद को सामने रखना चाहते हैं. जिससे गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई नाम पर लोग उनका समर्थन कर सके. ऐसे में नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में अपनी सक्रियता दिखा कर ब्रांडिग करना चाहते है. छोटे-बड़े दलों के साथ मिलकर नीतीश उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग को अपने पाले में मोड़ना चाहते हैं. समय के साथ साथ वह अपने पत्ते खोलेंगे .लालू के बिना भी वह उत्तर प्रदेश में नया गठबंधन तैयार कर सकते हैं.