जिस तरह से देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का बडा महत्व है, उसी तरह उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजधानी लखनऊ का महत्व है. उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने लखनऊ को विकास के मौडल की तरह पेश करने की योजना के तहत लखनऊ मेट्रो, गोमती नदी का सौन्दर्यीकरण करना और एशिया के सबसे बडे जनेश्वर मिश्रा पार्क जैसे तमाम प्रोजेक्ट शुरू किये. समाजवादी पार्टी ने लखनऊ में अपनी ताकत बढ़ाने के लिये पार्टी की 2 सबसे महत्वपूर्ण महिला नेताओं को विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिये लखनऊ कैंट और लखनऊ पूर्व से क्रमशः अपर्णा यादव और श्वेता सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. दोनो को ही चुनाव के बहुत समय पहले टिकट दे दिया, जिससे वह अपना पूरा प्रचार कर सके.

अपर्णा और श्वेता दोनो का ही समाजवादी पार्टी से महत्वपूर्ण रिश्ता है. अपर्णा यादव सपा प्रमुख मुलायम की छोटी बहू हैं और श्वेता सिंह समाजवादी महिला सभा की प्रदेश अध्यक्ष हैं. वह पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में हैं. उनको क्षेत्र का समर्थन भी मिल रहा है. लखनऊ में मलिहाबाद, बक्शी का तालाब, सरोजनीनगर, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंट और मोहनलाल गंज 9 विधानसभा सीटे हैं.

पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने लखनऊ की 7 विधानसभा सीटों को जीत कर भारतीय जनता पार्टी को करारी मात दी थी. समाजवादी पार्टी ने लखनऊ की 2 विधानसभा सीटों को जीतने के लिये पार्टी की 2 महिला नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है.

2017 के विधानसभा चुनावों में सपा पुरानी 7 सीटो के साथ बची 2 विधानसभा सीटों को भी अपने कब्जे में कर सके इसके लिये सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पार्टी को ‘लखनऊ जीतो‘ मंत्र दिया है. प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार में लखनऊ के 2 विधायकों रविदास मेहरोत्रा और शारदा प्रताप शुक्ला को मंत्री बना दिया. अब लखनऊ के 7 में से 3 विधायक मंत्री है. पूरे प्रदेश के किसी दूसरे जिले से इतने मंत्री नहीं है.

दरअसल जिस समय समाजवादी पार्टी ने लखनऊ कैंट की हारी हुई विधानसभा सीट से अपर्णा यादव को टिकट दिया था, उस समय यह कहा गया कि मुलायम की बहू के लिये यहां से जीतना संभव नहीं होगा. लखनऊ कैंट का चुनावी समीकरण पूरी तरह से सपा के विरोध में था. अपर्णा यादव के चुनाव हार जाने के बाद यह आरोप लगना तय था कि जानबूझ कर ऐसी सीट से अपर्णा को टिकट दिया गया जहां से वह हार जाये. समाजवादी पार्टी के बदले समीकरण में लखनऊ कैंट की सीट जीतना सबसे जरूरी लक्ष्य हो गया है. इसके लिये मुलायम ने लखनऊ में जनाधर रखने वाले विधायकों रविदास मेहरोत्रा और शारदा प्रताप शुक्ला को मंत्री बनवा दिया.

बहू की जीत की राह को सरल करने के लिये मुलायम विरोधी दलों से भी इस सीट पर कमजोर प्रत्याशी उतारने का दांव चल सकते हैं. लखनऊ कैंट की वर्तमान विधायक रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस की नेता हैं. उनके कांग्रेस छोडने की खबरे भी चर्चा में रहती हैं. भाजपा इस सीट पर कमजोर प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारे इसके लिये भाजपा के बडे नेताओं को साधने का काम किया जा सकता है. अपर्णा यादव खुले मंच पर भाजपा नेता राजनाथ सिंह के पैर छू कर उनका आर्शीवाद ले चुकी हैं. समय समय पर अपर्णा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों की तारीफ भी कर चुकी है. ऐसे में उनकी राह सरल दिख रही है.                      

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