प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ एक मंच पर आ कर बाहरी मुल्कों से मधुर संबंध बनाने की पहल की है.

भाजपा नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी राजग की सरकार का गठन हो गया. सरकार बनने तक नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली के बारे में व्यक्त की जा रही तमाम आशंकाएं धूमिल पड़ती नजर आ रही हैं. जीत के बाद मोदी की बातों और व्यवहार से विचारकों का भय का हौआ हटता दिखाई दे रहा है. 16 मई को चुनाव नतीजे आने के बाद से ले कर 26 मई को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने तक नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से जो कुछ कहा, उस से फिलहाल उन के नजरिए में यह कहीं दिखाईर् नहीं दिया कि वे विवादास्पद मुद्दों को आगे बढ़ा रहे हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान सांप्रदायिक कहे जाने वाले मोदी अब 125 करोड़ देशवासियों को साथ ले कर चलने की बात कर रहे हैं. ‘सब का साथ, सब का विकास’ का नारा दे रहे हैं. कोई किसी भी संप्रदाय, वर्र्ग का हो, किसी के साथ अन्याय नहीं होने देने का आश्वासन दे रहे हैं. विकास और सुशासन की बात तो वे शुरू से ही करते रहे हैं. पहले छोटा मंत्रिमंडल रख कर ‘मिनिमम गवर्नमैंट, मैक्सिमम गवर्नैंस’ की प्रतिबद्धता जता रहे हैं.

भाजपा को पूर्ण बहुमत की घोषणा के बाद 16 मई को वडोदरा की रैली में नरेंद्र मोदी ने जो बातें कहीं, वे वास्तव में दुनिया के सब से बड़े, मजबूत और परिपक्व लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे नेता की ओर से कही जानी चाहिए थीं. ‘सब का साथ, सब का विकास’ नारे के साथ उन्होंने देश के हर धर्म, हर वर्ग को साथ ले कर चलने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की.

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