दिल मिले न मिले, हाथ मिलाते रहिए, इसी तर्ज पर रिश्तों में कड़वाहट के बीच भारत और पाकिस्तान एक बार फिर बातचीत के लिए तैयार हुए हैं. इसलामाबाद में हार्ट औफ एशिया सम्मेलन के बाद दोनों देशों के बीच सहमति बनी है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की इसलामाबाद यात्रा के बाद दोनों देशों के विदेश सचिव वार्त्ता का ब्लूप्रिंट तैयार करने में जुट गए हैं.

अब सब का ध्यान दोनों देशों के बीच होने वाली बातचीत पर लगा है. भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पिछले कई सालों से कड़वाहट भरे रहे हैं. मजहबी नफरत की बुनियाद पर टिके रिश्तों में शुरू से ही तल्खी रही है. 3 युद्धों को छोड़ कर बात की जाए तो मुंबई हमला, संसद पर हमला और आएदिन सीमा पर हो रही मौतें आपसी संबंधों में कड़वाहट को कम नहीं होने दे रही हैं.

आतंकियों की घुसपैठ, बारबार सीजफायर उल्लंघन, जम्मूकश्मीर पर पुराना रुख और कट्टरपंथी नेताओं के परस्पर विषवमन ने रिश्तों की दूरी और चौड़ी कर दी. कुछ समय पहले भारत में तैनात पाकिस्तानी राजदूत की कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के साथ बैठक के बाद भारत ने कड़ा रुख अपना लिया और बातचीत से इनकार कर दिया था.

हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच एक टेबल पर आने के लिए बेताबी देखी गई. सितंबर माह में भारत व पाक के रेंजर्स की बातचीत हुई. नवंबर माह में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नजीर जंजुआ और अजीत डोभाल के बीच बैंकौक में वार्त्ता हुई. फिर पेरिस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ चुपकेचुपके मिले और अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान के विदेश मामले के सलाहकार सरताज अजीज व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से वार्त्ता किए जाने का निर्णय कर लौटी हैं.

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