बिहार के 22 जिलों समेत देश के सभी राज्यों के कुल 678 जिलों में नोटबंदी से पहले जमीनें खरीद कर काले धन के खिलाफ शोर मचाने वाली भारतीय जनता पार्टी खुद ही काले धन के मकड़जाल में फंस चुकी है. भाजपा के जिला दफ्तरों के लिए जमीन खरीदने में भाजपा चारों ओर से घिर चुकी है. भाजपा के इस फर्जीवाड़े का खुलासा बिहार में हुआ और अब देश के दूसरे राज्यों में भी इस की परत दर परत खुलने लगी है. जनता दल (यूनाइटेड) ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि जमीन खरीद में न केवल फर्जीवाड़ा किया गया है, बल्कि 6 जिलों में नकद भुगतान किया गया है.
जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि इस जमीन खरीद ने साफ कर दिया है कि भाजपा ने काले धन को सफेद करने का काम किया है. जद (यू) के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि जमीन खरीदने के लिए भाजपा नेता संजीव चौरसिया के 2-2 पैन कार्ड के नंबरों को इस्तेमाल किया गया है. एक पैन नंबर- एकेईपीके4734एच और दूसरा नंबर है एएएबीबी0157एफ. भाजपा नेता दिलीप जायसवाल ने भी ऐसा ही किया है. हैरत की बात तो यह है कि पार्टी के लिए नेताओं के नाम पर जमीन को खरीदा गया है. संजीव चौरसिया, दिलीप जायसवाल और लालबाबू प्रसाद के नाम से पैसे का भुगतान किया गया है.
यह पूरी तरह से गैरकानूनी है
अपने ऊपर लगे आरोपों के जवाब में भाजपा विधायक संजीव चौरसिया कहते हैं कि जद (यू) नेता जिस पैन कार्ड को उन का बता रहे हैं, वह भाजपा का है. जमीन खरीद में उसी का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए कभी जद (यू) नेता पैन कार्ड को मेरा, तो कभी दिलीप जायसवाल का बता कर अंधेरे में तीर मार रहे हैं. जद (यू) नेता बगैर किसी पुख्ता सुबूत के ही आरोप लगा रहे हैं. उन्हें यह भी समझ नहीं है कि एक आदमी के 2 पैन नंबर नहीं हो सकते हैं और न ही किसी के पैन कार्ड को कोई दूसरा इस्तेमाल कर सकता है. सारी खरीद आरटीजीएस के जरीए की गई है और उस के पूरे सुबूत मौजूद हैं.
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