हर कोई जानता है कि आनंदी बेन को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कुरसी दिल्ली जाते पीएम नरेंद्र मोदी खैरात में सौंप गए थे. चरणपादुका वाली शैली का यह शासन सालभर तो ठीकठाक चला लेकिन फिर जो गड़बड़झाले शुरू हुए तो अब तक थमने का नाम नहीं ले रहे. निकाय चुनावों में करारी हार और पटेल आंदोलन के बाद ताजा विवाद आनंदी की बेटी अनार को विवादित जमीन आवंटन का है जिसे ले कर भाजपा की खासी किरकिरी हो रही है. सुगबुगाहट यह शुरू हो गई है कि आनंदी बेन को और क्यों झेला जाए. उधर, सार्वजनिक और पार्टीगत विरोध की परवा न करते आनंदी बेन पूरे मन से पादुका पूजन में लगी हैं. उन्हें एहसास है कि अभी मोदी का विरोध करने की स्थिति में कोई नहीं है, लिहाजा बात ज्यादा चिंता की नहीं. अब उन के विरोधी भी कहने लगे हैं कि आनंदी की अपमानजनक विदाई से अच्छा संदेश नहीं जाएगा, इसलिए उन्हें केंद्र बुला लिया जाए या फिर किसी सूबे का राज्यपाल बना दिया जाए. लेकिन गुजरात अगर हाथ से नहीं जाने देना है तो उन्हें रुखसत जरूर कर दिया जाए.