भारतीय जनता पार्टी ने जब निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा को अपना समर्थन दिया, तो उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका यह दांव खाली जायेगा. भाजपा को यह उम्मीद थी कि दूसरे दलों के तमाम विधायक उसकी पार्टी से टिकट पाने के लिये अपने दलों से टूट कर उसके पक्ष में वोटिग करेगे. जैसे जैसे वोंटिग का समय करीब आता गया, भाजपा का भ्रम टूटने लगा. भाजपा को जब यह लगा कि उसके पास टिकट के लिये बडी संख्या में विधायक नहीं आ रहे है. तो उसने प्रीति महापात्रा को उनके भरोसे छोड दिया, जिससे प्रीति जरूरत भर के वोट हासिल नहीं कर सकी और चुनाव हार गई.
भाजपा के 4 वोट मिलाकर प्रीति ने 18 वोट हासिल करके दिखा दिया कि अपने दम पर भी वोट हासिल हो सकते हैं. चुनाव के बाद सभी पार्टियां अपने ऐसे विधायकों से हिसाब किताब बराबर करने की तलाश में हैं. जल्द ही ऐसे विधायकों को पार्टियां बाहर का रास्ता दिखाने की योजना में है. हर दल ने भीतरघात करने वाले विधायकों की लिस्ट तैयार कर ली है. जल्द ही इसको अमल में लाया जायेगा.
37 साल की महिला समाजसेवी प्रीति महापात्रा ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य के लिये भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से नामांकन किया था. प्रीति के चुनाव मैदान में उतरने से लडाई रोचक हो गई और वोट पडना जरूरी हो गये. इसके चलते विधायको में क्रास वोटिंग यानि दलबदल कर वोट देने का रास्ता खुल गया था. सभी दलों को अपने विधायको से वोट लेने के लिये होटल से लेकर रिसोर्ट तक मे उनको रूकाना पडा. विधायकों को मनाने के लिये तमाम तरह के उपाय करने पडे.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन