मुलायम परिवार में विवाद को लेकर जुटे परिवार के बीच सबकुछ सुलह समझौते के बीच पहुंच कर भी बात बिगड़ गई. समाजवादी पार्टी के विक्रमादित्य मार्ग स्थित पार्टी सुबह से ही जमावड़ा लगना शुरू हो गया. नेताओं के अलग अलग गुट के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गये. इनको रोकने के लिये पुलिस को लगाना पड़ा और मीटिग का समय 10 बजे के बजाये 11 बजे का रखा गया. मीटिंग के शुरू होने पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह का पक्ष लिया. मुलायम ने विस्तार से बताया कि शिवपाल और अमर सिंह उनके लिये कितना अहम स्थान रखते हैं. मुलायम ने यह बताया कि किस तरह से लाठी खाकर पार्टी बनाई है. कैसे अमर ने मुसीबत के समय उनकी मदद की. मुलायम ने अमर सिंह को अपना भाई कहा.
मुलायम के बाद मीटिंग में अखिलेश और शिवपाल ने अपनी अपनी बात रखी. मीटिंग को एक मुकाम पर ले जाकर खत्म करने के तहत मुलायम ने शिवपाल और अखिलेश को आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ चलने का संदेश दिया. अखिलेश और शिवपाल गले मिले. मुलायम ने कहा कि अखिलेश सरकार चलाएं और शिवपाल संगठन. ऐसे में लगा कि यह विवाद यहीं खत्म हो जायेगा. इस बीच अखिलेश ने अमर सिंह के एक पत्र का जिक्र किया. जिसमें अखिलेश को मुसलिम विरोधी कहा गया था. इसके प्रमाण के रूप में सपा नेता आशू मलिक को गवाह के रूप में बुलाया गया. आशू मलिक ने अपनी बात रखनी शुरू कि तो धक्का मुक्की शुरू हो गई. जिसमें एक बार फिर से शिवपाल और अखिलेश आमने सामने आ गये. जो बात बनती दिख रही थी वह बिगड़ गई.
एक के बाद एक नेता मीटिंग से बाहर चले गये. अब मीटिंग की बात को सुलझाने के लिये फिर से अलग अलग नेताओं में मिलने का दौर शुरू हो गया. मीटिंग के आखिर में हुई इस घटना से यह पता चल गया है कि सपा की रार खत्म नहीं हुई है. अब नई तरह से इसको सुलझाने का प्रयास होगा. समाजवादी पार्टी के ज्यादातर नेता चाहते हैं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी मुलायम खुद संभाले इसके बाद ही समाजवादी पार्टी एकजुट रह पायेगी. इस राह में रोडा दिख रहे अखिलेश यादव खुद कह चुके हैं कि वह नेताजी का हर कहा मानेंगे. जिस तरह से अखिलेश यादव के पक्ष में विधायकों का एक गुट सामने आ रहा है उससे साफ है कि सत्ता के लिये रस्साकशी चलेगी.
यह बात मुलायम भी समझते हैं कि अखिलेश को कुर्सी से हटाना सरल नहीं है. इस वजह से ही वह कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और लोकदल नेता चौधरी अजीत सिंह से भी बात कर चुके है. मुलायम ने यह साफ कर दिया है कि उनको बूढ़ा न समझा जाये. वह अभी भी पार्टी को संभाल सकते हैं. खबर है कि कांग्रेस और लोकदल मदद के लिये आगे आ सकती है. सपा की लड़ाई में हर घंटे नये बदलाव आ रहे हैं. ऐसे में पल पल राजनीति के रंग बदलेंगे.