मोहम्मद आजम खां का गुस्सा उत्तर प्रदेश की सरकार पर शुरू से ही भारी पडता रहा है. जिस तरह से प्रदेश के मुख्यमंत्री उनका गुस्सा कम करने के लिये उनको मनाने जाते थे, उस पर विरोधी दल कटाक्ष करते आरोप लगाते थे कि प्रदेश में एक नहीं कई मुख्यमंत्री हैं. आजम खां को इन आरोपों की कभी परवाह नहीं रही वह अपने हिसाब से चलते रहते है. मिश्री की तरह मीठा बोलने वाले आजम खां आर उत्तर प्रदेश के राजभवन के बीच भी संबंध मधुर नहीं रहे. आजम खां की नाराजगी है कि राजभवन रामपुर में उनके विश्वविद्यालय के कामकाज को लेकर अडंगा लगाता है. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक को लेकर आजम खां ने विधान सभा में सदन के दौरान मिश्री की तरह मीठा बोल दिया. जिसे सदन में ठीक नहीं माना गया.

आजम ने जो कुछ कहा उसके कुछ हिस्से सदन की लिखापढत से हटा दिये गये. यह बात जब राजभवन को पता चली तो विधानसभा में कही गई बातों का रिकार्ड तलब किया गया. रिकार्ड देखने पर राजभवन को लगा कि कुछ गलत तो बोला गया है जो संसदीय मंत्री आजम खां को नहीं बोलना चाहिये था. राजभवन ने इस बारे में विधानसभा के स्पीकर माता प्रसाद पांडेय सहित सरकार को लिखा और जबाव देने को कहा. उस समय आजम खां, विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय और संसदीय मंत्री आजम खां देश से बाहर गये थे. अब सभी देश वापस आ चुके है. उम्मीद यह की जा रही थी कि सरकार की ओर से राज्यपाल से मिलकर मामले में साफ सफाई का दौर चलेगा.

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