भारत ने इजरायल के साथ एक और रक्षा सौदा किया है. इस सौदे में भारत बराक 8 एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदेगा. यह सौदा 777 मिलियन डौलर यानी लगभग 5,700 करोड़ रुपए का है.
पिछले दिनों रूस के साथ हुए पांच अरब डौलर के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीद सौदे के बाद भारत का यह दूसरा बड़ा सौदा है. इजरायल से मिलने वाला यह सिस्टम सतह से आकाश में मार कर के दुश्मन की हमलावर मिसाइलों को रास्ते में ही नष्ट कर देगा. यह सिस्टम नौसेना के सात हमलावर जहाजों की सुरक्षा के लिए लिया जा रहा है. इजरायल की नौसेना इस का इस्तेमाल कर रही है.
इस सिस्टम का उपयोग वायुसेना और थलसेना भी कर सकती है. डिफेंस सिस्टम बनाने वाली कंपनी इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि भारत के साथ मिल कर तैयार किए गए बराक 8 सिस्टम सौदे से दोनों देशों के रक्षा संबंध और मजबूत हुए हैं. दोनों देशों का रक्षा व्यापार अब बढकर 6 अरब डौलर यानी करीब 44 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है.
कहने को यह सिस्टम भारत के सहयोग से बन रहा है जिस में डीआरडीओ व अन्य कंपनियां शामिल हैं. भारत हमेशा से सैन्य उत्पादों ओर तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा है. कहने को रक्षा मंत्रालय ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादों को तरजीह देने की कोशिश कर रहा है.
सेना की ओर से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उस ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत अब तक 25 परियोजनाओं की पहचान की है पर इस के लिए बजट नहीं है. जिस कारण इन परियोजनाओं पर आगे नहीं बढा जा सकता. हो सकता है कि इन्हें बंद करना पड़े.
सेना ने यह भी कहा था कि सरकार ने रणनीतिक साझीदारी में रक्षा उपकरण देश में बनाने की एक नई पहल की है. इस में विदेशी कंपनियों को कहा गया था कि वह भारतीय साझीदारी में देश में अपना कारखाना लगाएं. इन में बनने वाले उपकरणों की खरीद सरकार करेगी.
सेना का कहना है कि यह कहना मुश्किल है कि भविष्य में देश में रक्षा उपकरण बन सकेंगे या नहीं. असल में सरकार की इसी योजना के तहत रफाल सौदे में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस कंपनी को साझीदार बनाया गया था. अब यह मामला सरकार के गले की फांस बना हुआ है.
असल में सरकार और सेना को अपने देश में रक्षा उपकरण बनाने में दिलचस्पी नहीं है क्योंकि विदेशों से आयात किए जाने वाले अरबों के सैन्य उपकरणों में करोड़ों की दलाली का खेल होता है.
अमेरिका, फ्रांस, रूस, इजरायल जैसे देश हथियारों के सब से बड़े व्यापारी हैं. भारत इन देशों से हथियारों का सब से बड़ा खरीदार है. यह दलाली राजनीतिक पार्टियों से ले कर सरकार, सेना और बिचौलियों के बीच बंटती है. इस में सब के वारेन्यारे होते हैं इसलिए किसी भी पार्टी की सरकार यह खजाना लुटाना नहीं चाहती.
इसलिए सेना की रक्षा सामग्री खरीदने के मामले में विदेशों पर निर्भरता बढती जा रही है. पिछले चार सालों में इस में करीब पांच गुना बढ़ोतरी हुई है.
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