नेपाल की संसद ने 3 अगस्त को माओवादी सुप्रीमो पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को दूसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री चुन लिया. नेपाल के 39वें प्रधानमंत्री बने कम्युनिस्ट पार्टी औफ नेपाल माओवादी के अध्यक्ष ‘प्रचंड’ के सामने बड़ी चुनौतियां भारत से रिश्ते को सुधारना, पिछले साल के विनाशकारी भूकंप के झटके से देश को उबारना, चीन के साथ संतुलित रिश्ता बनाना और मधेशियों को उन का हक दिलाना हैं. इन सारी चुनौतियों के बीच सब से बड़ी चुनौती नया संविधान लागू होने के बाद नेपाल में राजनीतिक स्थिरता कायम करने के साथ अपनी तानाशाह वाली इमेज को तोड़ना भी है. वे चाहें तो ऐसा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें नेपाल के सब से बड़े सियासी दल नेपाली कांगे्रस के साथ मधेशी दलों का भी समर्थन हासिल है. मधेशी दल सरकार में शामिल नहीं हैं. 595 सदस्यीय नेपाली संविधान सभा में ‘प्रचंड’ के पक्ष में 363 वोट पड़े, जबकि विरोध में 210. 22 सदस्यों ने मतदान में भाग नहीं लिया.

गौरतलब है कि सीपीएन-माओवादी ने पिछले 24 जुलाई को के पी शर्मा ओली की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. ओली कुल 287 दिनों तक प्रधानमंत्री रहे. ओली ने अपनी सरकार गिराने के लिए ‘प्रचंड’ और प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांगे्रस पर जम कर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ‘प्रचंड’ की पार्टी का उन की सरकार से अचानक समर्थन वापस लेना और अविश्वास प्रस्ताव लाना उन की मंशा को साफ कर देता है. वे नेपाल में किसी भी हालत में स्थिरता नहीं लाने देना चाहते हैं.

राजनीतिक अस्थिरता दूर करेंगे

प्रधानमंत्री बनने के बाद ‘प्रचंड’ ने दावा किया है कि वे नेपाल की सियासी अस्थिरता को खत्म करेंगे और नेपाल को विकास की पटरी पर लाएंगे. ‘प्रचंड’ के नाम से मशहूर कम्युनिस्ट पार्टी औफ नेपाल माओवादी के सुप्रीमो पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने 2 अगस्त को आधिकारिक रूप से देश के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पेश की थी. नेपाली कांगे्रस ने उन्हें समर्थन देने का ऐलान किया था. नेपाली कांगे्रस के अध्यक्ष शेरबहादुर देउवा ने ही ‘प्रचंड’ के नाम को प्रधानमंत्री के तौर पर प्रस्तावित किया था. मधेशी दल ‘प्रचंड’ सरकार को फिलहाल बाहर से समर्थन दे रहे हैं और संवैधानिक संशोधनों के जरिए उन की मांगें पूरी होने के बाद ही वे सरकार में शामिल होने पर विचार करेंगे. सद्भावना पार्टी के महासचिव मनीष ने बताया कि सीपीएन-माओवादी, युनाइटेड डैमोक्रेटिक मधेशी फ्रंट और नेपाली कांगे्रस ने इस बात पर सहमति जताई है कि ‘प्रचंड’ की अगुआई वाली नई सरकार राजनीतिक तालमेल के आधार पर संसद में संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश करेगी ताकि मधेशियों की समस्याओं को दूर किया जा सके.

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