किसी और ने पहल नहीं की तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुद को फादर औफ टोल टैक्स की उपाधि से बिना किसी ताम?ाम के विभूषित कर लिया. इस की वजहें भी उन्होंने गिनाईं कि चूंकि टोल टैक्स प्रणाली उन्होंने 30 साल पहले महाराष्ट्र के पीडब्लूडी मंत्री रहते पैदा की थी, इस नाते वे इस के जनक हैं. अब भविष्य में उन्हें देख कहा यह जाएगा कि वो देख, टोल टैक्स का पापा जा रहा है. टोल टैक्स नाम का उन का मानद पुत्र अब 25 साल का उद्दंड जवान हो चुका है और महंगा भी बहुत है, आखिर इतने बड़े मिनिस्टर का बेटा जो ठहरा.

क्या बेटे की अरबोंखरबों की कमाई में से वे कुछ लेते हैं और उस के व अपने वंश को और बढ़ाएंगे, पता नहीं. लेकिन कश्मीर से कन्याकुमारी तक नितिन के छोटेबड़े बेटों का जलवा है जो तादाद में कौरवों से भी ज्यादा हैं. दिक्कत तब खड़ी होगी जब सड़क परिवहन मंत्री कोई नेत्री बने और टोल की मौम बनने से इनकार कर दे.

पर्स पर नजर क्यों

महिलाओं का अपने पर्स से मोह किसी सुबूत का मुहताज नहीं. चोरउचक्कों से इसे बचाए रखना किसी टास्क से कम नहीं होता. हालत तो यह है कि संसद में भी पर्स महफूज नहीं जहां  टीएमसी की स्टाइलिश सांसद महुआ मोइत्रा अपना पर्स छिपा रही थीं. पड़ने वालों की नजर इस पर भी पड़ गई तो बेकार का बवाल मच गया कि देखो, महंगाई पर हल्ला मचाने वाली महुआ डेढ़ लाख का पर्स रखती हैं. यह और बात है कि आजकल तो बैंक में एक लाख की नौकरी करने वाली महिला भी महंगे से महंगा पर्स रखती है.

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