5 राज्यों – मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव के जो नतीजे सामने आ रहे हैं वे निश्चिततौर पर भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद उत्साहवर्धक हैं.पार्टी 3 राज्यों में स्पष्ट तौर पर सरकार बनाने जा रही है.

धर्म की बिसात पर अपनी गोटियां खेलने वाली बीजेपी को यह उम्मीद नहीं थी कि जीत इतनी शानदार होगी. राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा और ‘इंडिया’ गठबंधन से बीजेपी में यह धुकधुकी तो थी कि कहीं हिंदू राष्ट्र और राममंदिर निर्माण का बीजेपी का चुनावी मुद्दा विपक्षी पार्टियों के मुद्दे – भूख, बेरोजगारी, जातीय जनगणना वगैरा के आगे फीके ना पड़ जाएं मगर आश्चर्यजनक  रूप से जनता ने स्वयं से जुड़े मुद्दों की अनदेखी कर धर्म के आगे घुटने टेक दिए और बीजेपी के सपने को साकार कर दिया.

दरअसल बीजेपी को यह जीत इसलिए हासिल नहीं हुई है कि उस ने विकास के कोई बहुत बड़े काम कर दिए हैं या बेरोजगार युवाओं को नौकरियां दे दीं या देश से गरीबी मिटा दी, बीजेपी को यह सफलता इसलिए मिली है क्योंकि इस वक़्त दुनियाभर में युद्ध और तनाव का माहौल है. गाजा-इजरायल और रूस-यूक्रेन के बीच कई महीनों से जो घमासान युद्ध हो रहा है उस में लाखों लोग मारे गए हैं. लाखों महिलाएं और बुजुर्ग घायल हुए हैं, बच्चों की लाशें उठाए मांबाप की चीखें आसमान का सीना छलनी कर रही हैं और यह सब हिन्दुस्तान के लोग इंटनैट और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने स्मार्ट फोन पर देख रहे हैं इतनी लाशें, दर्दनाक चीखें, बमों के धमाके, ध्वस्त होती आलीशान इमारतें, मलबे में दबे लोग, मिट्टी के टीलों में अपने मांबाप को ढूंढते नन्हे नन्हे बच्चे, अस्पतालों में घायल खून से सने मासूमों की तस्वीरों ने पूरी दुनिया में एक भय का वातावरण बना रखा है. विश्वयुद्ध की संभावना से लोग डरे हुए हैं. अभी साल नहीं बीता है कोविड महामारी ने लाखों लोगों की जानें लील लीं. उस से उबरे ही थे कि युद्ध की विभीषिकाओं ने हमें डराना शुरू कर दिया. ऐसे में इंसान सहारे के लिए कोई मजबूत छवि तलाशता है. भारत में नरेंद्र मोदी की छवि एक मजबूत और ताकतवर व्यक्ति के रूप में गढ़ी जा चुकी है.

गरीब और कम पढ़ा लिखा आदमी आपदाओं और परेशानियों से जल्दी डर जाता है. डर के कारण भगवान की तरफ भागता है. धर्म की गोद में छुप जाना चाहता है. हमारी मानसिक स्थिति को बीजेपी खूब अच्छी तरह भांप चुकी है. यही वजह थी कि 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी राज्य में स्थानीय नेताओं के चेहरों को कोई तवज्जो नहीं दी गई बल्कि हर जगह मोदी का चेहरा सामने रख कर चुनाव लड़ा गया.

नरेंद्र मोदी बेहद दमदार व्यक्ति के रूप में सामने है. अंतर्राष्ट्रीय मसलों को सुलझाने के लिए जिस की पूछ होती है. किसी भी अन्य पार्टी में मोदी की छवि के बराबर कोई नेता नहीं है. जनता को लगता है कि अगर विश्व युद्ध छिड़ा या देश पर कोई आंच आई तो उस से मोदी ही निपट सकते हैं और किसी में इतनी ताकत नहीं है. फिर जनता मोदी को हिंदू धर्म के उत्थान और राममंदिर के निर्माण से भी जोड़ कर देखती है. लिहाजा इस बार चुनाव में लोगों ने अपने क्षेत्रीय मुद्दों को दरकिनार कर मोदी को मजबूत करने के लिए बीजेपी के माथे जीत का सेहरा बांधना ज्यादा ठीक समझा.

अंतर्राष्ट्रीय गड़बड़ियां और युद्ध भारत के चुनावों पर जो असर डाल सकते थे उस को विपक्षी पार्टियां देख नहीं पाईं. वे जातीय मसलों में ही उलझी रह गईं. 5 राज्यों के जो नतीजे आए हैं उस के बाद देश में क्षेत्रीय समस्याएं, बेरोजगारी, गरीबी, भूख, अपराध जैसी चीजें जस की तस बनी रहेंगी. अब आगे कई सालों तक इस स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा. अलबत्ता इन नतीजों से बीजेपी की ताकत में इतनी बढ़ोत्तरी अवश्य हो गई कि इस के दम पर 2024 के लोकसभा चुनाव की वैतरणी वह बहुत आसानी से पार कर लेगी.

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