कश्मीर का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के लिए अस्मिता का कहा जा सकता है. कश्मीर को ले कर भाजपा ने राजनीति करने और जनभावनाओं को नएनए मोड़ देने का काम सदैव किया. मगर सवाल यह है कि लोकसभा 2024 के चुनाव में ‘कश्मीर’ में उस ने अपने प्रत्याशी क्यों नहीं उतारे हैं? यह सवाल देश के बहुत से लोगों को मालूम ही नहीं है. आइए, आज देश के सब से सरगर्म विषय कश्मीर पर कुछ नई जानकारियां आप को देते हैं.
अमेठी से राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ रहे तो नरेंद्र मोदी कह रहे हैं, ‘राहुल गांधी डर गए, डरो मत, भागो मत.’
मगर कश्मीर से भारतीय जनता पार्टी स्वयं पलायन कर गई और वहां की तीनों महत्त्वपूर्ण लोकसभा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा. इस पर कुछ भी कहने से बचा जा रहा है. सवाल है क्या भारतीय जनता पार्टी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर में चुनाव नहीं लड़े तो आखिर किस बात का डर था?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया, ‘लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अब तक की सब से कम सीटों पर सिमट जाएगी. देश की सब से पुरानी पार्टी आम चुनाव में ‘अर्धशतक’ का आंकड़ा पार करने के लिए संघर्ष कर रही है.’
नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने के फैसले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज कसा और कहा, ‘अरे, डरो मत, भागो मत.’ फिर कहा, ‘वैसे वायनाड में ‘हार के डर’ से राहुल ने यह कदम उठाया है.’
बर्द्धमान-दुर्गापुर और कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्रों में रैलियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा, ‘उन्होंने पहले ही बता दिया था कि ‘शहजादे’ वायनाड में हारने वाले हैं. वायनाड में जैसे मतदान समाप्त होगा, हार के डर से वे तीसरी सीट खोजने लग जाएंगे. राहुल अमेठी से भी इतना डर गए कि वहां दोबारा जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए.’
उन्होंने कहा, ‘ये लोग घूमघूम कर सब से कहते हैं ‘डरो मत.’ मैं भी इन्हें कहता हूं, ‘अरे, डरो मत. भागो मत.’
प्रधानमंत्री ने इस के साथ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी निशाना साधा और कहा, ‘उन्होंने 3 महीने पहले ही दावा किया था कि कांग्रेस की सब से बड़ी नेता इस बार चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं करेंगी. वे भाग कर राजस्थान गईं और राज्यसभा में आईं.’
मजे की बात यह है कि यह जो भाषण नरेंद्र मोदी दे रहे हैं उस में राहुल गांधी का नाम नहीं ले रहे हैं तो क्या वे राहुल गांधी का नाम लेने से भी डरते हैं? इस का जवाब भी उन्हें देना चाहिए.
भाजपा और कश्मीर
देश जानता है कि कश्मीर पर नरेंद्र मोदी की सरकार की दृष्टि सतत रही है और वे धरती के स्वर्ग पर भारतीय जनता पार्टी का झंडा लहराना चाहते हैं, विधानसभा में भी और लोकसभा में भी. मगर मजे की बात यह है कि 2024 की लोकसभा चुनाव में कश्मीर की तीनों सीटों से भाजपा पलायन कर गई और अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करने का फैसला किया.
नरेंद्र मोदी बीजेपी को दुनिया की सब से बड़ी पार्टी बताने से गुरेज नहीं करते. मगर कश्मीर में चुनाव लड़ने से अपने कदम पीछे हटा लिए तो उस का सीधा सा मतलब है कि वे जानते थे कि यहां भाजपा बुरी तरह हारने वाली है.
सारी दुनिया को पता है भाजपा ने 2019 में जम्मूकश्मीर से धारा 370 हटाई थी. साथ ही, आतंकवाद में कमी, आर्थिक निवेश बढ़ाने और पर्यटन के विकास का दावा किया था. मगर जब लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजी, सब आश्चर्य में रह गए क्योंकि भाजपा ने यहां से आंखें मूंद लीं. मनु भाजपा शुतुरमुर्ग बन गई.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से नहीं बल्कि कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना से कहलवाया गया कि भाजपा श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग-राजौरी की सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी. सनद रहे कि जम्मूकश्मीर 2019 से पहले जब पूर्ण राज्य था तो यहां लोकसभा की कुल 6 सीटें थी. अब लद्दाख अलग संघ शासित क्षेत्र है और जम्मूकश्मीर अलग संघ शासित क्षेत्र. जम्मू और ऊधमपुर की सीटें हैं तो लद्दाख की सीट अलग है.
दरअसल, सचाई यह है कि भाजपा ने चुनाव पूर्व सर्वे कराया था, उस में घाटी की तीनों सीटों पर पार्टी की स्थिति कमोबेश कमजोर होने की सामने आई. निश्चित रूप से इसीलिए नरेंद्र मोदी ने हारने से अच्छा इन सीटों पर चुनाव न लड़ना उचित समझा होगा. आने वाले सितंबर 2024 में कश्मीर घाटी में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में भाजपा के सामने यह ऐसी चुनावी बिसात बन गई है जिसे न उगलते बन रहा है, न निगलते.