‘अब की बार, मोदी सरकार’ और ‘चलो चलें मोदी के साथ’, ये नारे लोकसभा चुनाव में इस कदर हिट और कामयाब रहे कि अब उसी की देखादेखी बिहार विधानसभा चुनाव में लगी तमाम पार्टियां कविता की सियासत पर उतर आई हैं. हर पार्टी अपने को बेहतर साबित करने और विरोधी को नीचा दिखाने के लिए तुकबंदी करने में लगी हुई है. भाजपा समेत, जदयू, राजद, कांगे्रस व अन्य सभी छोटीमोटी पार्टियां भी कविता के जरिए जनता को रिझानेपटाने की कवायद में लगी हुई हैं. लगता है कि सभी पार्टियों को लग रहा है कि कविताबाजी की वजह से ही केंद्र में भारी बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी. अब बिहार विधानसभा के चुनाव में भी नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, समेत छुटभैये नेता भी कविताबाजी पर उतर आए हैं और हर दल की होर्डिंग में तमाम कविताएं ही नजर आ रही हैं. नीतीश कुमार ने तो नरेंद्र मोदी का प्रचारतंत्र संभालने वाले प्रशांत किशोर को ही अपने दल के चुनाव प्रचार और तुकबंदियां करने की जिम्मेदारी सौंप रखी है.

जदयू की तुकबंदियां--‘बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हो’, ‘झांसे में न आएंगे, नीतीश को जिताएंगे’, ‘आगे बढ़ता रहे बिहार, फिर एक बार नीतीश कुमार’, ‘बहुत हुआ जुमलों का वार, फिर इस बार नीतीश कुमार’, ‘अपराध मुक्त रहे बिहार, फिर एक बार नीतीश कुमार’. भाजपा की तुकबंदियां--‘अपराध, भ्रष्टाचार और अहंकार, क्या इस गठबंधन से आगे बढ़ेगा बिहार’, ‘अब की बार, भाजपा सरकार’, ‘हम बदलेंगे बिहार, इस बार भाजपा सरकार’, ‘जब होगी विकास की तेज रफ्तार, तब समृद्ध बनेगा बिहार’. राजद की चुनावी कविता--‘यह पीर अली और बाबू कुंवरसिंह का है बिहार, यहां नहीं बनेगी भाजपा सरकार’, ‘न जुमलों वाली न जुल्मी सरकार, गरीबों को चाहिए अपनी सरकार’.

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