हमारे एक परिचित के बेटे की शादी थी. 3-4 महीने पहले से ही फोन आने शुरू हो गए कि रिजर्वेशन करा लो, आप को जरूर आना है. हमें घर में काफी काम था. बेटी की प्रतियोगी परीक्षाएं भी हो रही थीं, लेकिन शादी की तारीख आतेआते उन लोगों से इतनी दफा बात हुई कि हम टाल नहीं सके, तो जाने का प्रोग्राम बना ही लिया.

10 घंटे का सफर तय कर विवाहस्थल पर पहुंचे. उन्होंने बाहर से आए सभी मेहमानों को होटल में ठहराया था. बातोंबातों में 1-2 बार हमारे परिचित ने बता भी दिया कि काफी अच्छे होटल में आप लोगों के ठहरने का इंतजाम किया है ताकि किसी को परेशानी न हो.

चूंकि बरात चलने का समय हो रहा था, इसलिए फटाफट तैयार हो कर हम शादी में शामिल होने के लिए निकल पड़े. अगली सुबह परिचित ने बहू को विदा करवाया, फिर सभी मेहमानों से मिल कर घर चले गए क्योंकि वहां भी रस्म होनी थी. हम लोग वापस होटल आ गए क्योंकि तैयार हो कर, नाश्ता वगैरा कर निकलना भी था. लेकिन यह क्या? होटल में न तो तैयार होने के लिए कमरा बुक था, न ही नाश्ते का कोई इंतजाम.

होटल मैनेजर से पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास केवल कल की ही बुकिंग थी, बताया गया था कि मेहमान शायद ही रुकें, विदा होने तक सभी चले ही जाते हैं. सुबह तक शायद ही कोई रहेगा.’’

अब क्या किया जाए, यह सोचने की बात थी? जो मेहमान दूरदराज से आते हैं वे अपनी ट्रेन या साधन के समयानुसार ही तो जाएंगे. ऐसे में नाश्ते व खाने का इंतजाम तो करना ही चाहिए था. अनजान शहर में मेहमान क्या खाएंगे, क्या रास्ते के लिए साथ ले जाएंगे. खैर, गरमी के मौसम में बिना तैयार हुए, बिना खाएपिए सफर तय करने में जो परेशानी आई, वह आज भी याद आ जाती है.

कहने का मतलब यह है कि यदि आप ने अपनों को आमंत्रित किया है, उन्हें मानसम्मान से बुलाया है तो उन के आने से उन के जाने तक खानेपीने व रहने की पूरी व्यवस्था पर ध्यान देना आप की जिम्मेदारी है.

यह कैसी मेजबानी है

रिश्ते में हमारे एक देवर हैं, उन की शादी की 25वीं सालगिरह थी जिसे वे काफी जोरशोर से मनाना चाहते थे. उन्होंने काफी रिश्तेदारों को बुला लिया. हम से भी बड़े प्यारमनुहार से दोनों पतिपत्नी को आने के लिए कह रहे थे. हम मना नहीं कर सके. 8 घंटे का सफर तय कर हम प्रोग्राम में पहुंचे.

शहर के एक नामी होटल में पार्टी रखी गई थी. अच्छा इंतजाम था. खानेपीने के तरहतरह के स्टौल लगे थे. डांसगाने का भी प्रोग्राम था. प्रोग्राम रात के 12 बजे तक चला. अब जो लोग उसी शहर या आसपास के थे, वे तो चले गए पर हमारे जैसे दूर से आए दोचार लोगों को तो वहीं ठहरना पड़ा. रात को जाने के लिए न तो कोई साधन था, न ही समझदारी, इसलिए रात को वहीं रुकने में हम ने भलाई समझी.

परंतु यह हमारा भ्रम निकला, क्योंकि जाने से भी ज्यादा हमें वहां रुकने में परेशानी आई. ठहरने का उन लोगों ने न तो घर पर, न ही होटल में कोई इंतजाम किया था. खैर, सभी मेहमानों को घर लाया गया. किसी तरह स्टोररूम से बक्से में रखे 3-4 गद्दे बिछा कर सोने की व्यवस्था की गई. किंतु काफी समय से इस्तेमाल न होने के कारण गद्दों की हालत बहुत खराब थी, वे बिछाने लायक नहीं थे. पर हमारी मजबूरी थी. सो, जमीन पर गद्दे बिछाए गए और जैसेतैसे उन पर लेटे.

कमरे में साफसफाई नहीं थी, बाथरूम भी साफ नहीं थे और मच्छरों के काटने से रातभर नींद भी नहीं आई. सुबह उठे तो जमीन पर लेटने से कमर अकड़ गई थी. नींद पूरी न होने से थकान भी महसूस हो रही थी. किसी तरह तैयार हुए तो मेजबान ने आ कर अपना कर्तव्य निभा दिया कि चाय तो आप लोगों ने पी ली होगी. पर यह कहते हुए उन्होंने न तो नाश्ते का और न ही रास्ते के लिए कुछ खाने का सामान साथ रखने का जिक्र किया. फंक्शन में तो मेहमानों की खासी तादाद दिखी, रौनक हो गई, इस के बाद मेहमान रुकें या जाएं उस से कोई मतलब नहीं. उन्होंने न तो इस बारे में सोचा, न ही अपनी जिम्मेदारी समझी.

कितने भी बड़े फाइवस्टार होटल में या फिर बड़े से बड़ा कार्यक्रम कर लें किंतु वह सफल और अच्छा तभी माना जाता है जब आमंत्रित मेहमानों के लिए हर सुविधा का ध्यान रखा जाए. जैसा आराम आप अपने लिए चाहते हैं वैसा ही सब के लिए सोचा जाए और इस के लिए कोशिश भी की जाए.

मेहमानों के लिए करें व्यवस्था

आज की भागदौड़भरी जिंदगी में जहां अपने लिए सुकून से बिताने को दो पल नहीं हैं, अपने में सभी व्यस्त होते जा रहे हैं, ऐसे में कहीं आनाजाना, रिश्तेदारी निभाना मुश्किल ही होता जा रहा है. उस पर यदि आप के द्वारा बुलाए जाने पर आप के ही मेहमानों को न तो आप की तरफ से रहनेठहरने का आराम तथा पूरी व्यवस्था मिले, न ही मानसम्मान, तो कौन, कहां व कितना आना पसंद करेगा? धीरेधीरे नातेरिश्ते कम होते जाएंगे, एकदूसरे के यहां आनाजाना कम होने लगेगा. फिर जब अपने ही न होंगे तो कैसा फंक्शन, कैसी रौनक.

जिन्हें भी पारिवारिक उत्सव में बुलाया जाए, वे सब आप के पास आएं तो वापस लौटते हुए खुश हो कर व अपनत्व ले कर ही जाएं. एकसाथ मिलजुल कर रहना व एकसाथ समय बिताना जहां तनावमुक्त करता है वहीं दिल को आनंदित भी रखता है. इसलिए, अपनों का ध्यान दिल से रखें, न कि मजबूरी समझ कर.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...