दीपा को बाहर बाजार से चटपटा खाना पसंद था. वीकैंड पर तो उस का डिनर सड़कछाप स्टौलों पर बर्गर, चाउमीन वगैरह खाने में बीतता था. इस वजह से वह बीमार रहने लगी. डाक्टर को दिखाया तो पता चला कि उस को ट्रांस फैट नुकसान पहुंचा रहा है.
फैट एक ऐसा तत्त्व है जो शरीर में जा कर पाचनतंत्र के नियंत्रण में नहीं आता यानी पाचनतंत्र उस खाने को पचा नहीं पाता. नतीजतन, हाजमा खराब हो जाता है और शरीर अस्वस्थ हो जाता है. यहां तक कि खून के थक्के जमना या गाढ़ापन आने का अंदेशा बना रहता है. इस वजह से दिल से संबंधित तमाम बीमारियां पनप जाती हैं.
एक तरफ जहां डाक्टर ट्रांस फैट को सब से बड़ा खतरा मानते हैं वहीं केंद्र सरकार भी इसे ले कर काफी गंभीर है. यही वजह है कि सरकार इसे ले कर देशभर में एक मुहिम चलाएगी. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण भी इसे ले कर मुहिम शुरू करेगा.
ट्रांस फैट को ले कर डाक्टर भी मानते हैं कि इस की मात्रा ज्यादा होने से तमाम नौजवान दिल के मरीज बन रहे हैं वहीं बाजार में बिकने वाले चिप्स या बिसकुट से ले कर दूसरी तमाम खाने की चीजों में ट्रांस फैट होने से लोगों को खून कीधमनियों में ब्लौकेज हो जाती है और इस के मरीज को हार्ट सर्जरी कराने अस्पताल तक पहुंच जाते हैं.
दिल्ली व एनसीआर में बाजार की चाट, छोलेभठूरे, बै्रडबटर जैसी खाने की तैलीय चीजों का सेवन करने का शौक बढ़ा है जबकि ज्यादातर दुकानों में इन्हें ट्रांस फैट वाले तेल में पकाया जाता है. अकसर बर्गर और चाइनीज खाने से बटर में फ्राई के साथ परोसा जाता है, लेकिन दुकानों पर मौजूद बटर यानी मक्खन में काफी ज्यादा ट्रांस फैट होता है.
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