कहने को उसके पास सब कुछ है अच्छी नौकरी, दिल्ली जैसे शहर में अपना घर, एक लाइफ पार्टनर, लेकिन फिर भी वह अकेली है पास बैठे पति से बात करने के बजाय वह सोशल साइट्स पर ऐसा कोई ढूँढती रहती है जिससे अपनी फीलिंग्स शेयर कर सके.

उस अनजान से वह घंटों बतिया सकती है पर घर के लोगों के पास बैठने उनका हाल चाल पूछने का उसके पास टाइम नहीं है. वह उन्हें यह सोच कर टेकन फॉर ग्रांटेड लेती है कि वे तो पास ही हैं जब जरुरत पड़ेगी वे तो एवलेबल हैं ही. लेकिन वह नहीं जानती उसकी इसी सोच ने उसे अकेला कर दिया है और सब कुछ होते हुए भी उसे अपनी जिन्दगी में खालीपन लगता है.

दरअसल, आज की इस तेज रफ्तार जिन्दगी में अपनी ख्वाइशों को पूरा करने की भागदौड़ में इंसान इतना बिजी हो गया है कि वह रिश्तों की अहमियत को भूल सा गया है. रिश्ते-नाते निभाने के लिए अब उसके पास वक्त नहीं बचा. वह रिश्ते भी भागते दौड़ते निभा रहा है बर्थ डे विश करना है तो ऑनलाइन बर्थ डे मेसेज कॉपी किया, केक या फूलों की अच्छी सी इमेज ओनलाइन सर्च की और पोस्ट कर दिया.

इतनी भी फुर्सत नहीं कि अपने उस खास रिश्ते को फोन करके या उसके घर जाकर उसके गले लगकर उसे बधाई दी जाए. घंटों फोन पर फालतू की चैटिंग करने का समय होता है पर अपने नजदीकी का हालचाल पूछने का नहीं. ऐसे ही लोग जिन्दगी में आगे चलकर अकेलेपन का रोना रोते हैं क्योंकि वे रिश्तों को सहेज कर रखते यही कारण है कि अकेलेपन के चलते लोग डिप्रेशन जैसी बिमारियों के के आंकड़े बढ़ रहे हैं.

वास्तव में होता यह है कि जब आप अपनी दुनिया में व्यस्त होते है तो तब आप रिश्तों को महत्व नहीं देते और एक समय ऐसा आता है जब आपको अकेलेपन के चलते अपने रिश्तों की याद आती है तो आपके रिश्ते आप से बहुत दूर जा चुके होते हैं.

तेज भागती दुनिया में वे कहीं खो से जाते हैं  एक समय था, जब भाई-बहन आपस में बहुत-से सीक्रेट्स शेयर करते थे, लेकिन अब व्यस्तता के नाम पर सब कुछ सीक्रेट ही रह गया है और अगर किसी से कुछ पूछो, तो जवाब यही मिलता है कि मरने की भी फुर्सत नहीं है.

किराये के रिश्ते

रिश्तों से   दूरी का परिणाम जापान में कुछ अलग ही रूप में  देखने को मिल रहा है. यहाँ अकेलापन महसूस कर रहे बुजुर्ग और उलझनों में फंसें टीनएजर्स, अपनी बातें शेयर करने के लिए किराए पर शख्स ले रहे हैं. जो बातें ये लोग परिवार से नहीं कर पाते, इन्हें आसानी से बता रहे हैं. इन किराये के अपनों को  ‘ओस्सान’ कहते हैं.

ओस्सान घंटेभर के हजार येन (लगभग 700 रुपए) वसूलते हैं. किराये के ऐसे ही एक अपने तकानोबू निशिमोतो हैं उनके क्लाइंट्स में बड़ी संख्या स्कूल गर्ल्स की है जो कॅरियर में सपने टूटने पर बॉयफ्रेंड्स से ब्रेक अप होने पर बहुत दुखी और अकेली हो जाती हैं. तकानोबू निशिमोतो की 60 लोगों की टीम है जो पूरे देश में सर्विस देती है.

तकानोबू हर महीने 30-40 लोगों को सर्विस देते हैं. इनमें ज्यादातर युवतियां होती हैं. उनके इस किराये के अपने उपलब्ध कराने के सफर के दौरान उन्हें हर आयु वर्ग के और तरह-तरह की परेशानियों से पीड़ित लोग मिलते हैं.

जैसे 80 साल की बुजुर्ग महिला जो अकेलेपन से परेशान है ,स्टूडेंट जो कॅरियर में असफलता के चलते परेशान है , युवा कर्मचारी जो बॉस से परेशान है. ये सभी अपनी समस्याओं के चलते सामाजिक रूप से घुलने-मिलने की बजाय घर में रहना पसंद करते हैं और फिर डिप्रेस हो जाते हैं. तकानोबू निशिमोतो का काम उनसे मिल कर उनसे बात करके उनका हौसला बढ़ाना होता है ताकि वे चुनौतियों का सामना कर सकें और समाज में  फिर से खुद को शामिल कर पाएं.

किराए के अपनों के अलावा जापान में किराये के ब्बॉयफ्रेंड का धंधा भी बेहद प्रचलित है किराये पर ब्बॉयफ्रेंड का धंधा अधिकतर युवाओं के लिए एक कॅरियर ऑपशन बनता जा रहा है. इस काम के बदले में युवाओं को मोटी रकम के साथ उन्हें अपने क्लाइंट की ओर से महंगे तोहफे भी मिलते हैं.

किराये पर बॉय फ्रेंड लेने वाली अधिकांश वे महिलाएं होती हैं जो विवाहित होती हैं. इन व्बॉयफ्रेंड का काम अपने क्लाइंट की हर ख्वाहिश को पूरा करना होता है. किराए के ये व्बॉयफ्रेंड अपने क्लाइंट की तारीफ करते हैं, बातें करते हैं,  उनके साथ खाना खाते हैं.

आपको जान कर हैरानी होगी  जरुरत के समय ग्राहक इनकी सेवाएँ नकली दोस्त,  नकली परिजन या रिश्तेदारों के रूप में भी ले रहे हैं. इन्हें शादी, पार्टी, किसी की मौत या विभिन्न मौकों पर बुला रहे हैं. अगर भारत की बात की जाए तो आपने भारत के राजस्थान में प्रचलित  प्रथा  रुदाली  के बारे में जरूर सुना होगा जिसमें रुदाली यानी पेशेवर रोने वाली को अमीर और रसूखदार व्यक्ति अपनी मौत पर रोने के लिए पेशेवर मातम मनाने वाले लोगों को अनुबंधित करते थे.

इसी तरह किराये की खुशी का एक रूप आइपीएल टी-20 मैचों या कुछ दूसरे खेल आयोजनों में चहकती-दमकती नजर आने वाली ‘चीयरगर्ल्स’  के रूप में भी नजर आता है जिन्हें किसी पार्टी की जीत हार से कोई लेना देना नहीं होता बस वे अपनी खुशी दिखने की ड्यूटी निभाती हैं जिसके बदले उन्हें पैसा मिलता है.

रिश्तों के बदलते स्वरूप को देख कर लगता है वह समय दूर नहीं जब हमारे देश में भी इस तरह के किराये पर मिलने वाले रिश्तों का प्रचलन बढ़ जाएगा.

VIDEO : फंकी लेपर्ड नेल आर्ट

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