फैशन ट्रैंड की तरह विवाह ट्रैंड भी हर मौसम में बदलता रहता है. पहले भारत में नईनवेली दुलहन के कपड़ों का रंग लाल हुआ करता था, लेकिन आज रौयल ब्लू व हौट पिंक को पसंद किया जा रहा है. शादी में जो मेहमान आते हैं उन के लिए अब गुलाबजामुन, जलेबियां, रबड़ी व वैनिला आइसक्रीम ही पर्याप्त नहीं है तिरामीशु व बकलावा भी जरूरी हो गए हैं. विवाह के फोटो भी अब स्वाभाविक व प्राकृतिक पृष्ठभूमि वाले हो गए हैं, क्योंकि अब कैमरे के लिए कोई फ्रीज नहीं करता है.

ताजा ट्रैंड सोशल वैडिंग का है, जिस में हैशटैग क्रिएट किए जाते हैं और मेहमानों में वितरित किए जाते हैं ताकि वे विवाह को लाइव ट्वीट कर सकें और फेसबुक व इंस्टाग्राम पर तसवीरें व अपडेट पोस्ट कर सकें. आप जैसे ही विवाह मंडप में प्रवेश करेंगे तो ‘संजीव वैड्स शालिनी’ के ठीक नीचे हैशटैग लिखा होगा, जैसे प्त स्स् 2द्गस्रह्य स्स्. आजकल की शादियों में यह एक आम नजारा हो गया है.

हालांकि कुछ लोग अब भी इस ट्रैंड से बचने का प्रयास करते हैं, लेकिन ज्यादातर जोड़े सोशल मीडिया व स्मार्टफोन कैमरे के महत्त्व को समझते हुए उसे गले लगा रहे हैं. 2014 में अमेरिकी वैबसाइट मशेबल व द नौट डौट कौम ने एक सर्वे किया था, जिस के अनुसार इंटरव्यू किए गए जोड़ों में से 55% ने कहा कि उन्होंने वैडिंग हैशटैग का प्रयोग किया और 20% ने कहा कि उन्होंने अपने मेहमानों को प्रोत्साहित किया कि वे उन के हैशटैग का इस्तेमाल करें व समारोह कार्यक्रमों के साथ शेयर करें.

भारत में यह ट्रैंड उस समय मशहूर हुआ जब फिल्म ऐक्टर सलमान खान की बहन अर्पिता की शादी में लोगों ने हैशटैग का इस्तेमाल किया और फेसबुक व इंस्टाग्राम पर तसवीरें व अपडेट्स पोस्ट किए. लेकिन अब इस की स्थिति यह हो गई है कि छोटे शहरों व कसबों में भी इस के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है.

हाल ही में नम्रता चौहान का विवाह मेरठ के एक कसबे मवाना में हुआ. नम्रता बताती हैं, ‘‘लोग आप की शादी पर बहुत ज्यादा तसवीरें खींचते हैं और थोक के भाव में औनलाइन पोस्ट कर देते हैं. इन को ट्रैक करना असंभव हो जाता है. हैशटैग के जरीए आप बिना किसी मुश्किल के सभी तसवीरों को देख लेते हैं. फिर आप को आश्चर्य उस समय होता है कि इन तसवीरों में वे शानदार पल भी कैद हो जाते हैं जिन्हें अकसर शादी को कवर करने वाला फोटोग्राफर कैमरे में कैद करने से चूक जाता है.’’

जो हैशटैग इस्तेमाल किए जा रहे हैं वे मजेदार और आकर्षक भी हो सकते हैं और इतने साधारण भी कि सिर्फ जोड़ों के नाम दे दिए जाएं. लेकिन कभीकभी विकल्पों के अभाव में साधारण हैशटैग का ही इस्तेमाल करना पड़ जाता है. एक शादी में तो यह भी देखने को मिला कि हैशटैग केवल प्रवेशद्वार पर ही प्रिंट नहीं किया गया था, बल्कि पूरे वैन्यू में जगहजगह प्रिंट कर के लगाया गया था.

सोशल मीडिया का अन्य फायदा यह भी है कि फोटोग्राफर तो तमाम तसवीरें 1-2 सप्ताह के बाद ही लाता है, लेकिन सोशल मीडिया पर इन्हें फौरन देखा जा सकता है. शानदार पलों को तसवीरों में देखने के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ती है. चूंकि दोनों घरों में हो रहे बहुत से कार्यक्रमों को होने वाले पतिपत्नी एकसाथ नहीं देख सकते, इसलिए सोशल मीडिया के जरीए आसानी से मालूम हो जाता है कि एकदूसरे के घर में कैसी तैयारियां चल रही हैं. हैशटैग से पोस्ट व तसवीरें परिवार व दोस्तों से बाहर दूसरों तक भी पहुंच जाती हैं, लेकिन बदलते जमाने में इस की परवाह करता कौन है?

एक ही शाम के 3 निमंत्रण

शादी को ले कर बहुत से ट्रैंड बदल रहे हैं, लेकिन एक बात जिसे बदलना सब से कठिन हो रहा है वह है शुभ मुहूर्त. यह सब को मालूम है कि शुभ मुहूर्त में की गई शादी भी कठिनाई भरी हो सकती है और उस का नतीजा भी तलाक के रूप में सामने आ सकता है. कहते हैं सब से ज्यादा गुण राम और सीता के मिले थे, लेकिन रामायण से मालूम होता है कि सीता को 14 वर्ष वनवास में, जिस में उन का अपहरण भी हुआ और फिर अयोध्या लौटने पर जीवन का बड़ा हिस्सा आश्रम में राम से अलग गुजारना पड़ा. लेकिन इस के बावजूद हर कोई चाहता है कि विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है. चूंकि शुभ साए अकसर कम ही होते हैं, जैसे 2014 में तो 2-3 ही थे, तो ऐसे में एक ही दिन में एक शहर में हजारों विवाह आयोजित किए जाते हैं. 14 फरवरी, 2015 को अकेले मेरठ में ही 5,000 शादियां हुईं.

अगर छोटे से शहर में ही एक दिन में इतनी शादियां होंगी तो जाहिर है, अगर आप थोड़े से भी सामाजिक दृष्टि से सक्रिय हैं, तो आप के पास एक ही दिन के कम से कम 3-4 निमंत्रण तो अवश्य होंगे. ऐसे में आप क्या करें खासकर जब तीनों शादियां ही शहर के अलगअलग कोनों में आयोजित हों. कहने का अर्थ यह है कि एकसाथ कई जरूरी कार्यक्रम, आयोजन स्थलों की एकदूसरे से दूरी, ट्रैफिक जाम और सभी समारोह एक ही समय पर- तो ऐसा शुभ साया आप के लिए तो खुशी नहीं मुसीबत ही ले कर आएगा. गृहिणी निशा चौधरी बताती हैं, ‘‘मुझे एक ही दिन 3 शादियों में जाना है. एक मेरी सहेली की है, एक मेरे कजिन की है और एक मेरे पति के कजिन की है. हालांकि मैं अपनी सहेली और कजिन के बहुत करीब हूं, लेकिन पूरा समय उन दोनों को नहीं दे सकती, क्योंकि तीसरी शादी ससुराल में है, उसे मिस नहीं कर सकती. मैं बहुत सोच रही हूं कि तीनों की ही नाराजगी से कैसे बचूं? ऐसा करूंगी कि सहेली से दिन में मिल आऊंगी, कजिन की शादी में थोड़ी देर के लिए जा कर अपना चेहरा सब को दिखा आऊंगी और फिर ससुराल की शादी में जयमाला के समय तक पहुंचने का प्रयास करूंगी, बशर्ते ट्रैफिक ने इजाजत दे दी तो. अगर ट्रैफिक में ही फंस गई तो किन्हीं 2 से शादी पर न पहुंचने की शिकायत सुन लूंगी.’’

दरअसल, ऐसी स्थिति में सारा खेल समय प्रबंधन का है. यह अलग बात है कि साए के समय जो ट्रैफिक का हाल रहता है उस में 2 वैन्यू को एक ही शाम में पूरा करना आसान काम नहीं होता है. इस संदर्भ में रूपेश त्यागी बताते हैं, ‘‘मैं ने तो ऐसा कई बार किया है. एक ही दिन में कई शादियां अटैंड की हैं. बात समझने की यह है कि पहले एक शादी में जाओ, मेजबान से मिलो और आधे घंटे तक जानपहचान के लोगों से दुआसलाम करते रहो. फिर उपहार दो और अगले वैन्यू की तरफ निकल लो. सब से महत्त्वपूर्ण यह है कि आप का जो अंतिम वैन्यू है वहां डिनर करो. लेकिन मेजबान से मिलना कहीं भी न भूलें वरना आप की सारी कोशिश बेकार हो जाएगी.’’

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