डिप्रैशन ऐसी समस्या है जिस के बारे में कोई बात नहीं करता और यही इस के समाधान में सब से बड़ी बाधा है. जबकि इस के कुछ लक्षण यदि खुद डिप्रैशन से गुजर रहा व्यक्ति समझ जाए, तो इलाज संभव है.

गिरीश का काम अच्छा नहीं चल रहा था. यह उस की पत्नी विभा और दोनों बच्चे जानते थे. नएनए बिजनैस को जमने में समय लगता ही है, विभा यह गिरीश को बारबार समझा तो रही थी पर गिरीश की निराशा कम ही नहीं हो रही थी. यह परिवार मुंबई में नयानया आया था. गांव से काफी जमापूंजी ले कर आया था गिरीश. उस ने बड़े जोश से नया काम शुरू किया था. पर महानगर की परेशानियां, बढ़ते खर्चे, बिजनैस में घाटा गिरीश को अंदर ही अंदर तोड़ते जा रहे थे.

उस ने धीरेधीरे लोगों से मिलनाजुलना कम कर दिया था. वह दुकान पर जाता तो, लेकिन वहां से लंचबौक्स अनछुआ वापस आता. विभा कहीं किसी परिचित के यहां चलने को कहती, तो वह चिढ़ जाता, मना कर देता. खाली समय जहां पहले पत्नी और बच्चों के साथ बिताता था, अब वह अकेला चुपचाप बैठा रहता.

विभा यह सोच रही थी कि कुछ समय लगेगा, सब ठीक हो जाएगा. गिरीश को चुप बैठा देख वह यह सोच कर कि गिरीश चिढ़ न जाए, अपने काम में लगी रहती. कई दिनों से यह सिलसिला चलता रहा. पर एक दिन वह हो गया जो विभा ने सपने में भी नहीं सोचा था. विभा घर का सामान लेने जाने लगी, बच्चे खेलने गए हुए थे, गिरीश ने उसे गंभीरतापूर्वक घर व दुकान के कुछ कागजात समझाए. विभा ने इसे सामान्य समझा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...