रणवीर और स्नेहा ने दोस्तों के साथ मिल कर फैस्टिवल पार्टी में कुछ अलग करने की योजना बनाई. वे दोनों जिस सोसाइटी में रहते थे वहां बहुत सारे दोस्तों के ग्रैंड पेरैंट्स भी साथ में रहते थे. ज्यादातर घरों में ग्रैंड पेरैंटस अकेले ही रहते थे क्योंकि बच्चों के मातापिता अपने औफिस चले जाते थे. स्कूल के बाद बच्चों का समय अपने ग्रैंड पेरैंट्स के साथ बीतता था.

रणवीर और स्नेहा कक्षा 10 व 12 में पढ़ते थे. इन दोनों ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर सोसाइटी के पार्क एरिया में एक जगह चुनी. वहां पर सजावट व खानेपीने की चीजों का इंतजाम किया. शाम को करीब 8 बजे अपने पेरैंट्स और ग्रैंड पेरैंट्स को पार्टी के लिए बुलाया. किसी को यह नहीं पता था कि पार्टी क्यों आयोजित की गई है, सभी यह सोच रहे थे कि किसी फ्रैं ड की बर्थडे पार्टी होगी.

समय पर जब सभी वहां पहुंचे तो पार्टी की सजावट देख कर लगा कि यह पार्टी तो ग्रैंड पेरैंट्स के लिए है. रणवीर और स्नेहा ने अपने उन दोस्तों और उन के पेरैंट्स, ग्रैंड पेरैंट्स को भी पार्टी में बुलाया था जो नजदीक की दूसरी सोसाइटी में रहते थे. सभी बच्चों ने पार्टी में आए ग्रैंड पेरैंट्स को दीवाली की शुभकामनाएं दीं. इस के बाद सभी ने डांस किया, गेम्स खेले. बच्चों ने सभी ग्रैंड पेरैंट्स के लिए उपहार खरीद कर रखे थे.

कुछ उपहार बच्चों ने खुद तैयार किए थे. पार्टी के बाद ग्रैंड पेरैंट्स को रिटर्न गिफ्ट दिए गए. सभी बहुत खुश थे. ग्रैंड पेरैंट्स  पहली बार अपने लिए इस तरह की पार्टी देख रहे थे.

स्नेहा और रणवीर के दोस्तों ने एक के बाद एक इसी तरह की ग्रैंड पेरैंट्स के लिए पार्टियां आयोजित कीं. आसपास की हर सोसाइटी में एक तरह का यह चलन हो गया. सोसाइटी के अलावा महल्ले में रहने वाले बच्चों ने भी अपने ग्रैंड पेरैंट्स को इस तरह की पार्टी दी. इस के लिए महल्लों में बने पार्क, स्कूल या फिर शादीघरों का उपयोग होने लगा. बच्चों की इस पहल से ग्रैंड पेरैंट्स के चेहरों पर मुसकान आ गई.

आमतौर पर त्योहारों के मौसम में घरपरिवार के लोग खुद पार्टी में एकदूसरे के घर चले जाते हैं. बच्चे भी अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर लेते हैं. ऐसे में घर में रहने वाले बडे़बुजुर्ग अकेलापन महसूस करते हैं. गै्रड पेरैंट्स  पार्टी के कारण बुजुर्ग अकेलापन महसूस नहीं करते. उन में आपस में मेलजोल बढ़ता है.

बच्चों की ग्रैंड पेरैंट्स पार्टी के 2 लाभ हैं. इस में व्यस्त होने के नतीजे में बच्चे दूसरी नुकसानदायक पार्टियोंमें नहीं जाते हैं. दूसरे, ग्रैंड पेरैंट्स घर में एक कोने में पडे़ खुद को पूरे समाज से कटा हुआ महसूस नहीं करते. बच्चों और ग्रैंड पेरैंट्स के जुड़ने से आपस में तालमेल बढ़ता है. बच्चों को ऐसे मौके कम मिलते हैं. ग्रैंड पेरैंट्स से बच्चे बहुतकुछ सीखते हैं. बच्चों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के बीच होने वाले बदलाव को समझने में आसानी भी होती है.

यह बात बच्चों के मन में बैठाने के लिए स्कूल स्तर पर भी प्रयास हो रहे हैं. कई स्कूल अब ग्रैंड पेरैंट्स मीटिंग कराते हैं. उस की वजह यही होती है कि 2 पीढि़यों के बीच की दूरी को कैसे कम किया जाए. त्योहार के मौके पर ऐसी पार्टी से ग्रैंड पेरैंट्स को बहुत खुशी होती है. ऐसी पार्टी उन को नई एनर्जी देती है.

रुचियों का रखें ध्यान

बच्चे अपने ग्रैंड पेरैंट्स के लिए पार्टी का आयोजन उन की रुचियों को देखते हुए करें. खाने से ले कर गीतसंगीत और डांस तक उस तरह के हों जो वे पसंद करते हों. खानेपीने में उन की पसंद का मैन्यू रखें. सब से अधिक जरूरी है कि ग्रैंड पेरैंट्स के पुराने दिनों को याद दिलाने वाले संस्मरण जरूर बताएं. पार्टी में सभी ग्रैंड पेरैंट्स का अच्छी तरह से परिचय दें.

अपनेपरिचय को सुन कर उन को पुराने दिनों की याद आती है. बच्चों और उन के साथ अपने पेरैंट्स को खुश देख कर बच्चों के मम्मीपापा भी खुश हो जाते हैं. उन को परिवार के साथ रहने का अच्छा एहसास होता है. परिवार के साथ रहने से बहुत बड़ा तनाव दूर हो जाता है.

पहले संयुक्त परिवार होते थे, तो बच्चों का अपने ग्रैंड पेरैंट्स के साथ मिलना होता रहता था. उस समय दादादादी कहानी सुनाने के लिए मशहूर होते थे. समय के साथ दादादादी की कहानियां खो गईं. दादीमां के नुस्खे गुम हो गए.

ऐसे में जरूरी हो गया कि अब त्योहारों के मौकों पर बच्चे अपने पेरैंट्स के लिए पार्टियों का आयोजन करें. इस से आपसी रिश्तों में नयापन आता है. एकदूसरे के बारे में समझ कर हर बात को हल करना आसान हो जाता है. ग्रैड पेरैंट्स के लिए होने वाली फैस्टिवल पार्टियां संयुक्त परिवारों की नई बुनियाद रख सकती हैं. संयुक्त परिवार आज पहले जैसे बडे़ भले न हों पर उन में ग्रैंड पेरैंट्स होते हैं जो बच्चों के लिए शिक्षा देने वाले किसी संस्थान की तरह साबित होते हैं.

इन्होंने जो कहा

परिवार के बीच रहना अकेलेपन की सब से बड़ी दवा होती है. ऐसे में ग्रैंड पेरैंटस पार्टी का आयोजन सच में एक अनोखी शुरुआत हो सकती है. संयुक्त परिवारों में पहले भी यह होता रहता है. आज भी परिवार के मुखिया के रूप में ग्रैंड पेरैंटस को जगह मिलती है. ग्रैंड पेरैंटस पार्टी में अलगअलग लोग मिलेंगे और यह पार्टी त्योहारों में कई बार आयोजित की जा सकती है. ऐसे में यह अपनेआप में बहुत अच्छी बात है. इस पहल को आगे बढ़ाने की जरूरत है.

शर्मिला सिंह, प्रिंसिपल, पायनियर इंटर कालेज, लखनऊ.

बच्चों में पेरैंटस के प्रति अच्छी सोच को बढ़ाना बचपन से जरूरी होता है. ऐसे में मातापिता की जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों में ऐसे संस्कार डालें कि वे अपने ग्रैंड पेरैंटस के साथ अच्छा व्यवहार करें. अगर मातापिता की इज्जत आप खुद करते हैं तो उन के बच्चे भी अपने ग्रैंड पेरैंटस की इज्जत करते हैं. समाज को भी ऐसे आयोजन करने चाहिए ताकि 2 पीढि़यों के बीच रिश्ते प्यार में बदल सकें. यह एक तरह से तहजीब का काम है. इस के बढ़ने से आपस में रिश्ते मधुर होंगे.

-आरती तरुण गुप्ता, तहजीब संस्था, मुरादाबाद

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