सोशल मीडिया पर दर्जनों फाइनैंस इन्फ्लुएंसर्स भरे पड़े हैं. सब एक से बढ़ कर एक अपने सब्सक्राइबर्स को अमीर बनने के तरीके बता रहे हैं, हैरानी यह कि अपने तरीकों से ये खुद अमीर नहीं बन पा रहे हैं, फिर यह फालतू गप हांकने का क्या मतलब?

'10 हजार से एक घंटे में बनाएं 1 लाख रुपए’, ‘एक टिप्स और अमीर होना कंफर्म’, ‘अमीर बनने के ये हैं तरीके', ‘शेयर बाजार में इन्वैस्ट करना एक कला है, आप भी सीखें’. ऐसे और ऐसी कई तरह की हैडलाइन वाले कंटैंट आप को सोशल मीडिया पर पढ़ने व देखने को मिल जाते हैं. दरअसल, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब पर रील्स और वीडियोज अब सिर्फ मनोरंजन के लिए ही नहीं बल्कि फाइनैंशियल एडवाइस लेने का भी जरिया बन गए हैं. शेयर बाजार में पैसा लगाना है लेकिन कौन सा स्टौक खरीदें, इस की समझ न हो, तो इस के लिए ज्यादातर लोग यूट्यूब की मदद लेते हैं जहां मुफ्त में लोगों को शेयर मार्केट का ज्ञान मिल जाता है.

लेकिन, यह मुफ्त का ज्ञान लोगों के लिए घातक भी साबित हो सकता है क्योंकि सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर स्टौक टिप्स देने वाले लोगों, जिन्हें फाइनैंशियल इंफ्लुएंसर्स कहा जाता है, के पास कोई समझ या अनुभव है, इस की गारंटी नहीं होती है. कई इन्फ्लुएंसर्स अकसर लोगों को तगड़े मुनाफे का लालच दे कर शेयर मार्केट में इन्वैस्ट करने की सलाह देते हैं. बहुत से लोग उन की बातों में आ कर इन्वैस्ट कर देते हैं और बाद में उन्हें भारी नुकसान होता है. इसलिए अगर इस तरह की रील्स देख रहें है तो केवल जानकारी बढ़ाने के लिए देखें. इन की हर बात को सही मान कर उस पर बिना सोचेसमझे विश्वास करना सही नहीं है. इस के लिए रिसर्च करें. कुछ अनुभवी लोगों से बात करें, तब कोई फैसला लें.

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