दादादादी या फिर नानानानी अपने अनुभवों के मद्देनजर छोटे पोतेपोतियों या नातीनातिनों की परवरिश में बेहतर भूमिका निभा सकते हैं बशर्ते उन की संतानें अपनी संतानों की परवरिश में उन से सहयोग लें. आज की व्यस्त जीवनशैली में मातापिता दोनों नौकरी करते हैं. उन्हें अपने बच्चों की देखभाल के लिए कोई न कोई स्थायी अथवा अस्थायी इंतजाम करना ही पड़ता है. इस के लिए हालांकि कई विकल्प मौजूद हैं लेकिन दादादादी और नानानानी से बेहतर विकल्प कोई नहीं हो सकता.

दादा-दादी के साथ का फायदा

यूनिवर्सिटी औफ ईस्टर्न फिनलैंड के अनुसार, जो बच्चे अपने दादादादी के पास रहते हैं, उन में व्यवहार की दिक्कतें कम होती हैं. दादादादी के होने से मातापिता पर बच्चे का भार कम पड़ता है और उन की जिम्मेदारी भी कुछ कम होती है. ऐसी स्थिति में मातापिता मानसिक तौर पर निश्ंिचत रहते हैं कि बच्चा दादादादी या नानानानी संभाल लेंगे. यानी जिन बच्चों के पास उन के दादादादी हैं वहां चिंता कैसी?

फायदा भी नुकसान भी

यूनिवर्सिटी औफ ईस्टर्न फिनलैंड के डा. ऐंटी ओ टैंशकैनन को अपनी पीएचडी के दौरान पता चला कि दादादादी बच्चों की देखभाल के साथसाथ उन्हें इमोशनल सपोर्ट भी देते हैं तो वहीं उन बच्चों का वजन बढ़ने की समस्या भी होती है. कम उम्र में वजन बढ़ने से आगे चल कर बच्चों को परेशानी हो सकती है. बचपन से ही वे अपने दोस्तों में मजाक का पात्र भी बन सकते हैं. इस के साथ ही, दादादादी के साथ बच्चा रहने से नए मेहमान की तैयारी में भी मदद मिलती है. उन की देखभाल की वजह से भी मातापिता दूसरे बच्चे की प्लानिंग जल्द कर लेते हैं. इस से बच्चों में ज्यादा अंतर भी नहीं रहता और अच्छी तरह से परवरिश हो जाया करती है. एक और शोध के मुताबिक, जो बच्चे अपने नानानानी के पास रहते हैं, उन्हें ज्यादा फायदा होता है क्योंकि ऐसे बच्चों में भावनात्मक समस्याएं कम होती हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...