किशोरियों की सब से बड़ी कमजोरी है कि वे बातें गुप्त नहीं रख पातीं. वे अपनी किसी खास सहेली की निजी बातों का भी प्रचार कर देती हैं, जिसे न कहने की वे कसम खा चुकी होती हैं. बातें गुप्त रखने के लिए संयम की आवश्यकता होती है. अपनी सहेली की किसी भी खास बात को अपने तक ही सीमित रखें, फिर आप देखिए कि आप का विश्वास पा कर कैसे वह आप को अपना हमदर्द बना लेती है. 2 सहेलियों की अंतरंगता के लिए यह आवश्यक पहलू है. अपनी सहेली की प्रशंसा करना सीखिए. उस के गुणों से जलभुन कर खाक हो जाना और उन में गलतियां निकालने का प्रयास सहेली की परिभाषा के विरुद्ध है. सहेली के गुणों की तारीफ करें, साथ ही उसे कुछ ऐसे सुझाव भी दें जिस से वह अपनेआप को और काबिल बना सके. आप का यह व्यवहार निसंदेह सहेली को आप के और करीब लाएगा.
जिस तरह सहेली के गुणों की व्याख्या करना जरूरी है, वैसे ही उस की बुराइयों पर भी प्रकाश डाला जाए. माना कि आप की सहेली बातबात पर रोष प्रकट करती है, ढंग से नहीं चलती, बातबात पर चिल्लाती है, बड़ों का सम्मान नहीं करती तो उसे उस की गलतियों का एहसास अवश्य कराएं. इस डर से कि कहीं वह बुरा न मान जाए, चुप रहना गलत होगा. एक आदर्श सहेली की हैसियत से आप का कर्तव्य होगा कि आप बड़े प्यार से स्पष्ट शब्दों में बिना किसी कुटिल भावना के उस की कमजोरियां उसे बताएं. संभव है आप के स्पष्ट शब्दों से प्रभावित हो कर वह अपनी कमियों को सुधारने का प्रयास करेगी. अगर आप की कई सहेलियां हैं तो सभी के साथ एकजैसा व्यवहार करें. सब एकसाथ हों तो ध्यान रखें कि बातचीत का विषय और भाषा ऐसी हो कि सभी उस में समान रूप से सहभागी बन सकें. ऐसे विषय का चुनाव न करें, जिस से किसी को बोरियत हो.