रिटायरमैंट के बाद विश्वास कुमार का समय नहीं कट रहा था. कुछ वर्षों पहले उन की पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी. बच्चे शादी के बाद बाहर बस चुके थे. नौकरी के दौरान व्यस्त रहने के कारण करीबी नातेरिश्तेदार और दोस्त नहीं बन पाए थे. सरकारी अफसर थे तो पैसा, जायदाद और पैंशन सबकुछ था. अपनी सेहत का ध्यान रखते थे.

60 साल होने के बाद भी वे 50 साल से कम उम्र के ही लगते थे. उन की दिनचर्या फिक्स थी. तन और धन दोनों से वे मजबूत थे. जब तक रिटायरमैंट नहीं हुआ था, तमाम लोग आगेपीछे घूमते थे. रिटायरमैंट होते ही अकेलापन बढ़ गया था. अकेलापन दूर करने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया. फेसबुक, इंस्टाग्राम और डेटिंग साइट पर उन के अलगअलग नामों से खाते खुले हुए थे. उन्हीं में महिला मित्रों को तलाश कर उन के साथ हंसीमजाक के सहारे जीवन कट रहा था उन का.

सोशल साइट के जरिए ही उन को कानपुर में रहने वाली नेहा नामक महिला मिली. बातचीत में उस ने खुद को तलाकशुदा सिंगल बताया. विश्वास कुमार से उस की बातचीत बढ़ने लगी. उम्र में वह भी 50 के आसपास ही थी, पर उस ने खुद को इतना फिट रखा था कि 35 साल से अधिक की नहीं लगती थी.

विश्वास और नेहा के बीच बातचीत बढ़ने लगी. धीरेधीरे दोनों ने यह तय किया कि अब वे शादी कर एकसाथ ही रहेंगे. नेहा कानपुर से लखनऊ आ गई और विश्वास के साथ ही रहने लगी. विश्वास को दबाव में रखने के लिए नेहा ने दोनों की शादी का कचहरी में एक नोटरी प्रमाणपत्र बनवाया. करीब 3 माह तक दोनों साथसाथ रहे. इस के बाद अचानक दोनों के बीच ?ागड़े शुरू हो गए.

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