Easy Life : हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.

दफ्तर की मीटिंग हो या घर में कोई गैदरिंग, अंशु बिना मांगे सलाह देना शुरू कर देती है. ननद की बेटी की शादी में कपड़ों की खरीदारी से ले कर लेनदेन में भी अंशु बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही थी. शादी के दौरान और बाद में जिस भी रिश्तेदार का मुंह फूला, सब का ठीकरा अंशु के सिर पर था. लगातार बोलने के कारण अंशु को खुद भी ध्यान नहीं था कि उस ने किस रिश्तेदार के सामने क्या बोला है. अंशु का पति मनुज उस से अलग नाराज था कि उस के कारण उसे अपनी दीदी और जीजाजी से अलग बातें सुननी पड़ी हैं.

कबीर कक्षा 1 का विद्यार्थी है और बेहद शरारती है. चारु जब अपने बेटे कबीर की पीटीएम पर उस के स्कूल गई. जब टीचर ने कबीर की स्कूल में प्रोग्रैस रिपोर्ट बतानी चाही तो चारु ने टीचर को बोलने का मौका ही नहीं दिया. वह लगातार कबीर की तरफदारी करती रही थी. टीचर ने आगे कोई बात नहीं की.

हर बात पर रिऐक्शन देना आज की एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है. हर बात हमारे ढंग से हो, बहुत जल्दी हो. हर छोटीछोटी चीज हमें इरिटेट कर देती है. आप कुछ भी बोलने से पहले 1 मिनट का मौन अवश्य रखें. बहुत बार 1 मिनट के मौन के बाद आप को कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...