Bossy Woman : जब एक महिला मजबूत हो, स्ट्रौंग हो और अपने अधिकारों के प्रति सजग होती है तो उसे बौसी और कंट्रोलिंग वुमन का टैग दिया जाता है. इन लोगों में खुद कुछ करने का दम नहीं होता इसलिए महिलाओं को दबा कर उस पर अपना जोर चला कर अपने मर्दानगी का दम भरते हैं.
“एक क्वीन की तरह सोचो, जो कभी गिरने से नहीं डरती. हमारी असफलता ही महानता की ओर एक और कदम है.” यह कहना है दुनिया की सब से शक्तिशाली महिलाओं में से एक विश्व प्रसिद्ध ओपरा विन्फ्रे का, जो सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं.
आज हम महिलाओं को मजबूत और सशक्त बनाने की बात करते हैं. महिला सशक्तिकरण पर लेख, सेमिनार और अवेयरनेस प्रोग्राम करते हैं. लेकिन जब एक महिला पहले से ही मजबूत हो, स्ट्रौंग हो, अपने अधिकारों के प्रति सजग हो, वह दूसरों की बात मानने की बजाए अपनी बात मनवाने पर जोर दे, तो हम उसे ‘बौसी’, ‘जिद्दी’, ‘कंट्रोलिंग’ आदि नामों से बुलाते हैं. इस के ठीक विपरीत जब एक पुरुष ऐसा करता है, तो हम उसे ‘लीडर क्वालिटी’ वाला लड़का कहते हैं. क्या पुरुषों और महिलाओं में ये भेदभाव सही है? अगर पुरुष स्ट्रौंग और लीडर क्वालिटी वाले हो सकते हैं, तो फिर महिलाएं ऐसे क्यों नहीं हो सकती?
क्यों कहा जाता है महिलाओं को कंट्रोलिंग नेचर वाला
2014 में, फेसबुक सी ओ ओ शेरिल सैंडबर्ग ने ‘बैन बौसी’ "BAN BOSSY" अभियान शुरू किया और उन्हें विश्व प्रसिद्ध वुमन लीडर्स और दिग्गजों का समर्थन भी मिला. अभियान का तर्क यह था कि कम उम्र से ही लड़कियों को शांत और विनम्र रहने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. अगर वे इन लैंगिक मानदंडों को तोड़ने का साहस करती हैं, तो अकसर उन की आलोचना की जाती है. उन्हें नापसंद किया जाता है और ऐसे नामों से पुकारा जाता है, जो उन्हें बड़े हो कर नेता बनने से हतोत्साहित करते हैं यानी रोकते हैं. उसे ऐसा इसलिए नहीं करने दिया जाता क्योंकि वह महिला और पुरुष के इन लैंगिक मानदंडों को तोड़ने का साहस करती हैं, तो अकसर उन की आलोचना की जाती है.
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