फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बना चुकी शबाना आजमी ने हर तरह के किरदार निभाए हैं. आज भी वे फिल्मों में सक्रिय हैं. अभिनय करने के साथसाथ वे सामाजिक कार्यों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. 1997 में वे राज्यसभा की सदस्या मनोनीत की गईं, सांसद के रूप में उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता के साथ लिया. अत्यंत स्पष्टभाषी, दृढ़प्रतिज्ञ शबाना आजमी का नाम कभी फिल्म निर्देशक शेखर कपूर तो कभी अभिनेता शशि कपूर के साथ जोड़ा गया पर उन्होंने अंत में पटकथा लेखक, गीतकार जावेद अख्तर के साथ शादी की.

हालांकि जावेद अख्तर शादीशुदा थे लेकिन शबाना के प्यार में उन्होंने तलाक ले कर शादी की. आज भी शबाना जावेद को अपना सब से अच्छा दोस्त मानती हैं जिन्होंने शादी के बाद भी उन के हौसले को बढ़ाया और आगे बढ़ने में साथ दिया. जीवन के छठे दशक में प्रवेश करने के बाद आज भी शबाना आजमी ऊर्जा से भरपूर दिखती हैं. अपनेआप को ग्लैमरस अभिनेत्रियों की भीड़ से अलग रख कर उन्होंने प्रयोगात्मक और समानांतर फिल्मों में काम कर अपनी अलग पहचान बनाई. ‘अर्थ’, ‘निशांत’, ‘अंकुर’, ‘स्पर्श’, ‘मंडी’, ‘मासूम’ आदि ऐसी ही फिल्में हैं. इस के अलावा ‘फायर’ जैसी विवादास्पद फिल्म और ‘मकड़ी’ में चुड़ैल की भूमिका को भी शबाना ने बेधड़क हो कर निभाया.

हिंदी फिल्मों में ही नहीं उन्होंने कुछ विदेशी फिल्मों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. किसी किरदार को चुनते समय किस बात का ध्यान रखती हैं  इस बाबत शबाना आजमी कहती हैं, ‘‘किसी भी भूमिका को चुनते समय मैं उस से जुड़ी रियल लाइफ की किसी किरदार को ढूंढ़ती हूं ताकि मैं उसे फौलो कर सकूं, देख सकूं. जैसे हालिया रिलीज फिल्म ‘चाक ऐंड डस्टर’ में टीचर के किरदार के लिए मैं ने अपनी भाभी सुलभा आर्या की कौपी की है. वे जब थिएटर में पढ़ा कर आती थीं, कैसे कपड़े पहनती थीं, हावभाव कैसे होते थे, कैसे कौपी चैक करती थीं आदि सभी को देखती थी. वैसी हूबहू मैं ने नकल की है.

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