फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ फिल्म से कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता सलमान खान की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ उनके जीवन की एक टर्निंग पॉइंट फिल्म थी. इसके बाद फिल्मों की इतनी झड़ी लग गयी कि उन्हें कभी पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. वे इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता तो हैं ही, इसके साथ-साथ निर्माता और टीवी पर्सनालिटी भी है. उन्होंने कैरियर में हर तरह की फिल्मों में काम किया और कामयाबी धीरे-धीरे पाई. उनकी चर्चित फिल्में ‘हम आपके हैं कौन’, ‘करण अर्जुन’, ‘तेरे नाम’, ‘बीवी नंबर वन’, ‘वांटेड’, ‘मुझसे शादी करोगी’, ‘नो एंट्री’ आदि सभी प्रकार के रोमांटिक, एक्शन और इमोशनल फिल्में हैं.
सलमान ने फिल्म इंडस्ट्री में एक लम्बी पारी बितायी है और आज भी अपने अभिनय के बल पर सबको आकर्षित करते हैं. उनके फैन-फोलोवर्स की संख्या करोड़ों में है. आज भी उनकी बिल्डिंग के सामने उनके फैन्स, उनकी एक झलक पाने के लिए घंटो खड़े रहते हैं. सलमान इसे लोगों का, उनसे प्यार मानते है और इसे एन्जॉय करते है.
सलमान का फिल्मी कैरियर भले ही कितनी ऊंचाई पर पहुंचा हो, लेकिन उनका प्यार उन्हें कभी नहीं मिला. उन्होंने कई अभिनेत्रियों को बॉलावुड इंडस्ट्री में पैर जमाने में मदद भी की. सलमान के साथ कई हिरोइन्स के अफेयर के काफी चर्चे सुने गए, पर वे उस प्यार को पाने में कामयाब नहीं हुए. इसमें सोमी अली, संगीता बिजलानी, ऐश्वर्या राय, कैटरीना कैफ और अब लुलिया वेंतुर का नाम जुड़ रहा है. इतना ही नहीं सलमान कई बार अपनी हरकतों से मीडिया के सुर्खियों में रहे, जिसमें राजस्थान में काले हिरण का शिकार, मुंबई में हिट एंड रन केस जिसमें सबसे चर्चित मामला, नशे की हालत में सड़क किनारे सो रहे लोगों को गाड़ी से कुचल देने का था.
सलमान अपनी कामयाबी और कैरियर से संतुष्ट हैं और आगे भी फिल्में ही करने की इच्छा रखते हैं. इन दिनों वे अपनी फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं. आइये जानते हैं क्या कहते है वे अपने बारें में…
फिल्म का नाम ट्यूबलाइट रखने की वजह क्या है?
ट्यूब लाइट रखने की वजह यह है कि इसके किरदार को कुछ समझने में समय लगता है. जब एक बार यह समझ जाता है तो सबको साथ लेकर चलता है. उसकी मासूमियत ही उसे सबका प्रिय पात्र बनाती है. ये दो भाइयों की कहानी है. जिसमें भारत और चीन की जंग के समय वे किन हालातों से गुजरते हैं, ये दिखाया गया है. इसमें उनके रिश्ते और इमोशन को अधिक महत्व दिया गया है. अब तक भाइयों पर ऐसी फिल्म नहीं बनी है और इस फिल्म में दो रियल ब्रदर काम कर रहे है.
क्या रियल भाई होने से काम करना आसान रहा?
रियल भाई होने से दोनों का एक साथ बड़े होना, आपस की नोंक-झोंक, प्यार इमोशन्स सबको दिखाना आसान रहा. अगर कोई दूसरा इस भूमिका में होता, तो वह कोई बड़ा स्टार ही उस रोल में होता, इससे कलेक्शन बढ़ सकता था, लेकिन सोहैल खान इस फिल्म के निर्माता हैं और एक्टर के रूप में वे अधिक कामयाब नहीं रहा. वैसे उसने एक्टिंग के लिए अधिक समय भी नहीं दिया. वो निर्माता-निर्देशक के रूप में ही अधिक एक्टिव रहा. पहले शुरू में सोचा गया कि कोई और इस भूमिका को करें, लेकिन बाद में लगा कि मेरा काम बढ़ जायेगा. अगर मैंने अभिनय में कुछ भी कमी की, तो ये कार्टून वाला चरित्र बन जायेगा. मैं खुश हूं कि निर्देशक कबीर खान ने सोहैल को इस भूमिका के लिए चुना.
हम दोनों असल भाई हैं और दोनों भाई की बॉन्डिंग और केमिस्ट्री ओरिजिनल है. इसके लिए मुझे अधिक मेहनत नहीं करनी पडी और दर्शकों को भी पसंद ये आयेगा. मेरे दोनों भाई अरबाज और सोहैल मुझसे छोटे हैं, पर सोहैल ही इस भूमिका के लिए फिट है.
फिल्म में आपने एक मासूम बच्चे की भूमिका निभाई है, क्या आपको लगता है कि आज के बच्चे इतने मासूम है?
पहले के बच्चे मासूम होने पर समझदार कम होते थी, आजकल के बच्चे मासूम होने के साथ-साथ प्रतिभावान, बहुत कम उम्र में ही हो जाते है. उनके प्रश्न इतने जटिल होते हैं कि उसका उत्तर देना कठिन हो जाता है. ये आज की तकनीक का प्रभाव है, जिसकी वजह से कम उम्र में ही बच्चे सब जान जाते हैं. मुझे ख़ुशी होती है कि मेरे घर के सभी बच्चे अच्छी तरह ग्रो कर रहे है.
आपने कई नए कलाकारों को फिल्मों में काम करने का अवसर दिलाया है, क्या कभी धोखा हुआ है?
अधिक धोखा नहीं मिला. कई बार मैं जल्दी समझ जाता हूं कि इंसान गलत है या सही. कभी देर से समझता हूं, कई बार तो समझने में काफी देर हो जाती है. मैं उसे ही काम देता हूं, जिसमें प्रतिभा है. बहुत सारे ऐसे यूथ है जो हीरो या हिरोइन बनने के लिए मेरे पास आते हैं. मैं उनको समझाता हूं कि फिल्मों के अलावा टीवी भी एक बड़ी संस्था है, जिसने कलाकारों को फलने-फूलने का पूरा मौका दिया है.
मीडिया किसी कलाकार की आगे बढ़ने में कितनी मदद करती है?
पहले इतनी बड़ी मीडिया नहीं थी. दो चार गिने चुने अखबार और मैगजीन हुआ करते थे और मेरे पिता का रिश्ता हर प्रोडूसर, डिरेक्टर के साथ अच्छा था, हर कोई उन्हें सम्मान देता था. मीडिया भी इन सभी रिश्तों को सोच समझकर लिखा करती थी. आज की मीडिया अलग और बहुत संख्या में है. हर किसी की एक दूसरे से प्रतियोगिता है. हर कोई एक बड़ी ‘हेडलाइन’ चाहता है, ऐसे में कुछ भी मिले, उसी को बढ़ा-चढ़ाकर लिख देते हैं. उस समय सही रिपोर्टिंग हुआ करती थी, किसी ने जो भी कहा, उसे उसी तरह लिखकर छापा जाता था. कुछ गलत भी अगर उसने कहा हो तो उसे थोडा माइल्ड करके, पत्रकार छापते थे. वरिष्ठ रिपोर्टर और बड़ी पत्रिकाएं आज भी सही रिपोर्टिंग करती हैं. ऐसी हरकते अधिकतर यूथ रिपोर्टर ही करते हैं.
क्या आप अपनी जर्नी से खुश है?
हां मैं बहुत खुश हूं. मैंने जो सोचा भी नहीं था, उससे कही अधिक सफलता मिली है.
आप सभी में पारिवारिक एक-रूपता कैसे बनी रहती है?
ये सही है कि परिवार के सभी सदस्य अलग रहते हैं, सबका अपना परिवार है, लेकिन एकसाथ मिलने या किसी खास मौके को सेलिब्रेट करने में सभी ‘गैलेक्सी’ में ही आते हैं. होम का अर्थ ‘गैलेक्सी’ ही है. ये सालों से चली आ रही है.
किसी खास त्यौहार पर फिल्म रिलीज करने की खास वजह क्या है?
त्यौहार पर लोग मिलते हैं और साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं, इसलिए उस समय फिल्में रिलीज करने पर लोग देखना पसंद करते हैं.