रेडियो जॉकी, मॉडलिंग, विज्ञापन फिल्में, आईपीएल का संचालन से लेकर ‘‘शैतान’’,‘बॉस’, ‘मंत्रा’ सहित एक दर्जन फिल्मों व पांच टीवी सीरियलों में अभिनय कर शिव पंडित ने काफी पापड़ बेले हैं. पर अफसोस की बात यह है कि अभिनय की तारीफ होने के बावजूद उन्हें कलाकार के तौर पर व्यावसायिक सफलता नहीं मिली है. इन दिनों वह ‘नेट फ्लिक्स’ के माध्यम से 135 देशो में दिखायी जा रही ‘गे’ की त्रिकोणीय प्रेम कहानी वाली फिल्म ‘‘एल ई ओ वी’’ में भी उनके अभिनय को काफी सराहा जा रहा है.
अपनी पृष्ठभूमि के बारे में बताएं?
मेरे पिता सरकारी नौकर हैं, तो कई जगह तबादले होते रहे हैं. मैं दिल्ली, चंडीगढ़, कर्नाटक कई जगह रह चुका हूं. कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे रेडियो मिर्ची में रेडियो जॉकी की नौकरी मिली. इसलिए मैं मुंबई आ गया. दो साल तक मैंने रेडियो मिर्ची में काम किया. फिर टीवी पर कुछ विज्ञापन फिल्में की. फिर मैंने टीवी पर सीरियल ‘एफआईआर’ में अभिनय किया. मैंने आईपीएल को हॉस्ट किया. तो मेरे साथ चीजें अपने आप हो रही थी, जो सही लग रहा था, मैं करता चला जा रहा था. आईपीएल के बाद मुझे फिल्म ‘शैतान’ में अभिनय करने का मौका मिल गया. ‘शैतान’ की वजह से ही मैं आज ‘बॉस’ में रोमांटिक लीड कर पाया हूं. अब तक दस-बारह फिल्में कर चुका हूं. मेरी एक तमिल फिल्म ‘‘लीलाय’’ अंतरराष्ट्रीय जगत में धूम मचा चुकी है.
आपको जो सफलता मिलनी चाहिए थी,वह अब तक नहीं मिली?
फिल्म ‘शैतान’ के समय मुझे दर्शकों का बहुत प्यार मिला था. उसकी वजह से मुझे बिग बजट व्यावसायिक फिल्म ‘‘बॉस’’ में अक्षय कुमार, डैनी, रोनित राय व मिथुन चक्रवर्ती के साथ काम करने का अवसर मिला, मगर इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर आपेक्षित सफलता नहीं पायी. वास्तव में जब हम फिल्म साइन करते हैं या जब फिल्म बन रही होती है, तब तो हमें पता नहीं होता कि यह फिल्म सफल होगी या नहीं. हम सिर्फ अपना पूरा प्रयास करते हैं, वही हमने किया था. पर कभी कुछ चल जाता है? कुछ नहीं चलता है. वैसे आज कल जिंदगी में आप देखेंगे, तो पाएंगे कि हर क्षेत्र में लोग धैर्य खो रहे हैं. अग्रेसन बढ़ रहा है. इसलिए आज की तारीख में सफलता से ज्यादा यात्रा महत्वपूर्ण हो गयी है. पिछले दिनों ‘मंत्रा’ को काफी सराहा गया. अब ‘नेटफ्लिक्स’ पर प्रसारित हो रही फिल्म ‘एल ई ओ वी’ को 135 देशों के दर्शक पसंद कर रहे हैं. मेरी राय में अच्छी कमर्शियल फिल्म का इंतजार करने की बजाय जो अच्छी फिल्में मिलें, वह करनी चाहिए. मेरी अभिनय यात्रा अच्छी चल रही है.
आपने क्या सोचकर ‘‘गे’’ की प्रेम कहानी वाली फिल्म ‘‘एल ई ओ वी’’ की?
मेरे हिसाब से कलाकार के तौर पर अलग-अलग फिल्में करना बहुत जरुरी होता है. मैं किसी एक ढर्रे पर नहीं बंधना चाहता. मैं वह काम करना चाहता हूं, जिसकी प्रशंसा पूरे विश्व में हो. मैं सिर्फ अच्छी फिल्में करना चाहता हूं.
‘‘गे’’ समुदाय से जुड़े लोगों के प्रति पहले आपका नजरिया क्या था. क्या उस नजरिए में अब बदलाव आया?
मेरे कई दोस्त ‘गे’ हैं. पर मुझे अपने और उनमें कोई अंतर नहीं महसूस होता. हमारी दोस्ती में उनका सेक्सुअल स्टेटस मायने नहीं रखता. मैं उन्हें उनके व्यक्तित्व से जज करता हूं. इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद बहुत अच्छे संदेश मिल रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि पहली बार भारत में ऐसी फिल्म बनी है, जिसमें ‘गे’ समुदाय से जुड़े लोगों की खिल्ली नहीं उड़ायी गयी है. यह फिल्म ‘गे’ समुदाय को लेकर एक परिपक्व व सकारात्मक दृष्टिकोण रखती है.
किसी फिल्म का चयन करते समय क्या सोचते हैं?
मैं सोचता नही हूं. जो ऑफर आते हैं, उनमें से बेहतर करने की कोशिश करता हूं. मैं चाहता हूं कि मेरी फिल्में लोगों को पसंद आएं. लोग मुझे एक बेहतरीन कलाकार के रूप में पहचाने. इसलिए यही कोशिश है कि अलग-अलग फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाउं. मुझे 24 घंटे काम करना है. मुझे एक्शन करना है. कॉमेडी करना है. ट्रेजिडी करना है. इसी तरह मुझे हर निर्देशक के साथ काम करना है. अनुराग बसु, विजय नांबियार, दिबाकर बनर्जी, अनुराग कश्यप जैसे निर्देशकों के साथ काम करना चाहता हूं. मैं तो सिर्फ अच्छा काम करना चाहता हूं.
क्या भारत में इंटरनेट पर फिल्म देखने वालों की संख्या थिएटर में जाकर फिल्म देखने वालों से अधिक है?
भारत में इंटरनेट पर फिल्म देखने वालों की संख्या कम नही है. हम तो एक नया बदलाव लाने का काम कर रहे हैं. कलाकार व रचनात्मक इंसान के तौर पर हमारा दायित्व बनता है कि हम ज्यादा से ज्यादा रचनात्मक काम करें. हम दर्शकों को ज्यादा से ज्यादा बेहतर कटेंट परोसें. हमने ‘लव’ के माध्यम से भारतीय सिनेमा को विश्व स्तर पर पहुंचाया है.
निर्देशकों की तुलना कैसे करेंगे?
फिल्म इंडस्ट्री में काम करने की खूबी यही है कि हमें हर तरह के और हर वर्ग के लोगों के साथ काम करने का अवसर मिलता है. और आपका अनुभव आपकी यात्रा में मदद करता है. अब मेरा आत्म विश्वास बढ़ा है.
क्या आपको गैर फिल्मी परिवार का होने का नुकसान उठाना पड़ रहा है?
फिल्मी परिवार से जुड़े लोगों के बच्चों को पहले ब्रेक मिलना आसान होता है, पर अंततः उन्हें भी अपनी प्रतिभा को साबित ही करना पड़ता है. दर्शक को इस बात से कोई मतलब नही होता कि आप स्टार पुत्र हैं या नहीं, उसके लिए आपकी परफार्मेंस मायने रखती है.