सीने में असहजता, दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण एंजाइना या हार्ट अटैक से जुड़े होते हैं. हालांकि इन लक्षणों के साथ ही व्यक्ति में हमेशा हार्टबर्न या एसिड इनडाइजेशन तथा खट्टी डकार जैसे सब से आम लेकिन अपेक्षाकृत सुरक्षित लक्षण भी देखे जाते हैं. यही वजह है कि जब व्यक्ति को हार्ट अटैक होता है तो वह एसिड रिफ्लैक्स का मामूली मामला समझते हुए इन लक्षणों से भ्रमित रहता है और गंभीर परेशानी में पड़ जाता है. इसी तरह एसिड इनडाइजेशन के कारण सीने में दर्द को ले कर भी कुछ मरीज हार्ट अटैक समझ कर भ्रमित हो सकते हैं. हम अकसर ऐसे भी मरीज देखते हैं जो एसिड रिफ्लैक्स के कारण सीने में असहजता की शिकायत करते हैं और कार्डियोलौजिस्ट के पास जा कर सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उन के ये लक्षण गंभीर तो नहीं हैं.

सही माने में हार्टबर्न का नाम के अलावा हृदय की परेशानियों से कोई लेनादेना नहीं रहता. हार्टबर्न शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी को एसिड इनडाइजेशन (खट्टी डकार या अपच) होता है जिस में भोजन नली प्रभावित हो जाती है. भोजन नली चूंकि शरीर में हृदय के पास ही होती है इसलिए इस से आप को सीने में असहजता महसूस हो सकती है. इस कारण हृदय संबंधी किसी परेशानी से उबरने वाले लक्षणों को भी लोग गलतफहमी में एसिडिटी जैसी समस्या ही मान लेते हैं. कुछ लोग गफलत में हार्टबर्न को भी एंजाइना की तकलीफ (हृदय में रक्त आपूर्ति की कमी के कारण यह असहजता पैदा होती है) या हार्ट अटैक मान बैठते हैं.

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हार्टबर्न व हार्ट अटैक में अंतर

हार्टबर्न एक सामान्य परेशानी है जिस में एसिड आप के पेट से ऊपर निकल कर भोजन नली में पहुंच जाता है और सीने में दर्द का कारण बनता है. ऐसी स्थिति में कई बार सांस लेने में तकलीफ भी होती है. यह अपेक्षाकृत मामूली स्थिति होती है जिसे एंटीएसिड दवाओं से संभाला जा सकता है या खानपान की आदत ठीक करने से इस से बचा जा सकता है  दूसरी तरफ, हार्ट अटैक जान के लिए खतरा बन सकता है. हृदय से जुड़ी रक्त धमनी जब संकरी या अवरुद्ध हो जाती है तो वहां से हृदय तक रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और यही हार्ट अटैक का कारण बनता है. इस का मतलब है कि इस औक्सीजनयुक्त रक्त की जरूरी आपूर्ति बाधित हो जाती है और यदि समय पर इस का इलाज नहीं कराया गया तो यह जान के लिए खतरा भी बन सकता है.खतरा मोल न लें

हार्ट अटैक से पीडि़त बहुत सारे लोग इसे हार्टबर्न समझने की गलती कर बैठते हैं और आखिरकार वे मौत का शिकार हो जाते हैं क्योंकि वे सही समय पर इलाज नहीं करवाते हैं. बहुत से लोग सीने में दर्द को पेट में गैस की वजह समझ लेते हैं. पहले के हार्ट अटैक के लक्षणों का उन्हें तभी पता चलता है जब वे बड़े अटैक की चपेट में आते हैं. तब तक कीमती समय जाया हो चुका होता है. अगर वे पहले ही जांच करवा लेते तो बीमारी पर बेहतर नियंत्रण किया जा सकता था. आमतौर पर हम मरीजों को बताते हैं कि यदि थोड़े समय बाद या कुछेक डकारों के बाद स्थिति सुधर जाती है तो उन्हें सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि सीने का यह दर्द पेट में गैस के कारण ही था. हालांकि यदि सीने में असहजता बनी रहती है तो इलाज के लिए आप को समय गंवाए बगैर तत्काल किसी अस्पताल में भरती हो जाना चाहिए.

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लक्षणों की अनदेखी न करें

यदि किसी व्यक्ति को एपिगैस्ट्रिक या सीने में नीचे की तरफ इस तरह के लक्षण उभरते हैं तथा इसी तरह के लक्षण कई महीनों या सालों से उभर रहे हैं तो आमतौर पर इसे पेट या ऐसोफेगस की समस्या समझी जाती है. लेकिन यदि हाल के दिनों में ऐसी समस्या हुई है या लक्षणों की प्रकृति में किसी तरह का बदलाव आया है या टहलने, सीढि़यां चढ़ने जैसे श्रम में भी ऐसी दिक्कत उभरी है और आराम करने पर अच्छा महसूस होता है तो संभव है कि यह हृदय संबंधी समस्या हो सकती है तथा मरीज को तत्काल किसी डाक्टर से संपर्क कर ईसीजी जांच करा लेनी चाहिए. दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह ध्यान रखनी चाहिए कि इस तरह की तथाकथित एसिडिटी या गैस संबंधी समस्या एंटीएसिड दवा लेने के 20 मिनट बाद भी बनी रहती है तो यह भी बहुत हद तक हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है और मरीज को ईसीजी कराने के लिए तत्काल किसी नजदीकी अस्पताल में जाना चाहिए. सामान्य एसिडिटी या गैस की समस्या ज्यादातर अधिक भोजन करने या व्यायाम की कमी के कारण होती है. नियमित व्यायाम करने वाले हार्ट अटैक से बच सकते हैं.

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यदि सीने का दर्द बहुत कष्टदायी नहीं है लेकिन आप को आशंका है कि यह गंभीर हो सकता है तो इन लक्षणों के शांत पड़ने का इंतजार नहीं करें. एक के ऊपर दूसरा लक्षण उभरते रहने के कारण लोग अमूमन इन दोनों समस्याओं के बीच भ्रमित हो जाते हैं.  लिहाजा, डाक्टर को तुरंत दिखाएं. ऐसे लक्षणों को मामूली मान कर अनदेखी न करें ताकि बाद में पछताना न पड़े.    

– डा. टी एस क्ले
(लेखक फोर्टिस एस्कोर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट ऐंड रिसर्च सैंटर, नई दिल्ली में कार्यकारी निदेशक हैं)

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