महिलाएं परिवार में सभी की देखभाल करती हैं. कब किसको क्या खाना है, कहां जाना है. घर में सभी की तबियत का ध्यान रखती है लेकिन सिर्फ खुद को भूल जाती हैं कि उन्हें अपना भी ध्यान रखना है. अपनी सेहत को लेकर वो थोड़ी लापरवाही बरतती हैं. इसी वजह से महिलाओं का मृत्युदर का स्तर बढ़ता जा रहा है. महिलाएं अपनी बीमारी को लेकर असहज महसूस करती है और न ही किसी से बताती है. इसलिए कई ऐसी बीमारियां है जो उनकी लापरवाही की वजह से बढ़ जाती है और उनकी जान ले लेती है ऐसी ही कुछ बिमारीयों मे से एक है सर्वाइकल कैंसर.
2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल भारत में ही हर साल 74 हजार महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की शिकार हो रही है और जांच के मामलो में लगातार स्तर गिरता जा रहा है मतलब महिलां सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग नहीं करवा रही है. ज्यादातर महिलाएं सर्वाइकल टेस्ट को नहीं करवाती है जिसकी वजह से यह खतरनाक रूप ले लेता है.
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क्या होता है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो गर्भाशय में सेल्स (कोशिकाओं) की अनियमित वृद्धि की वजह से होता है. यह एचपीवी वायरस यानी ह्यूमन पेपीलोमा वायरस की वजह से होता है. यह सर्विक्स की लाइनिंग, यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है. सर्विक्स की लाइनिंग में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं- स्क्वैमस या फ्लैट कोशिकाएं और स्तंभ कोशिकाएं. गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कौलमर जंक्शन कहा जाता है. यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक संभावना रहती है. गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है. 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में ये कैंसर उनकी मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन रहा है.
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