दुनिया में 50 या इस से अधिक उम्र की 63 प्रतिशत महिलाएं घुटनों की समस्या से परेशान हैं. 12 साल तक चले एक अध्ययन में यह सामने आया कि मानव किसी न किसी कारण से घुटनों के दर्द से परेशान हैं. इस की वजह घुटनों में किसी प्रकार की चोट, मोटापा या औस्टियोआर्थ्राइटिस होता है. अध्ययन में शामिल औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रो. निगेल एर्डन के अनुसार, यह पहला अध्ययन है जिस में सिर्फ महिलाओं को शामिल किया गया. इस अध्ययन में 44 से 57 साल आयुवर्ग की 1,000 से ज्यादा महिलाओं को लिया गया. 44 प्रतिशत महिलाओं को कभीकभार यह दर्द उठता ही है. जबकि 23 प्रतिशत को माह के आखिरी दिनों में यह दर्द होता है. कभीकभार और ज्यादातर दिनों में घुटनों के दर्द की शिकायत वाले मरीजों में क्रमश: 9 और 2 प्रतिशत का अनुपात है. रिसर्च के अनुसार, जिन का बीएमआई (बौडी मास इंडैक्स) अधिक यानी मोटापा अधिक है, उन में घुटनों के दर्द की शिकायत ज्यादा रहती है. जब दर्द बहुत ही ज्यादा हो जाता है तो घुटने का प्रत्यारोपण कराना पड़ता है.

क्या है नी रिप्लेसमैंट

घुटनों में आर्थ्राइटिस होने से कई बार विकलांगता की स्थिति तक आ जाती है. जैसेजैसे घुटने जवाब देने लगते हैं, चलनाफिरना, उठनाबैठना, यहां तक कि बिस्तर से उठ पाना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसी स्थिति में नी रिप्लेसमैंट यानी घुटनों का प्रत्यारोपण एक विकल्प के तौर पर मौजूद है.

कब पड़ती है जरूरत

यदि एक्सरे में आप को घुटना या उस के अंदर के भाग अधिक विकारग्रस्त होते दिख रहे हों या आप घुटनों से लाचार महसूस कर रहे हों, जैसे बेपनाह दर्द, उठनेबैठने में तकलीफ, चलने में दिक्कत, घुटने में कड़ापन, सूजन, लाल होना, तो आप घुटना प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त हैं. हर वर्ष पूरे विश्व में लगभग 6.5 लाख लोग अपना घुटना बदलवाते हैं. वैसे, घुटना बदलवाने की उम्र 65 से 70 की उपयुक्त मानी गई है लेकिन यह व्यक्तिगत तौर पर भिन्न भी हो सकती है.

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