बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं? दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर यानी ओएबी एक क्रौनिक समस्या है. इस के चलते बारबार पेशाब करना पड़ता है. इसे थोड़ी देर भी रोक पाना बहुत ही मुश्किल होता है. अकसर वाशरूम जाने के रास्ते में ही यूरिन लीक हो जाता है. यह समस्या पुरुष और महिला दोनों को हो सकती है. महिलाओं में मेनोपौज और ओएबी का परस्पर कुछ संबंध भी है.
महिलाओं के अंतिम मेन्सुरल साइकिल को मेनोपौज कहते हैं. किसी महिला को लगातार 12 महीनों तक पीरियड न हुआ हो तो डाक्टर इसे निश्चित तौर पर मेनोपौज कहते हैं. इस बीच के समय को पेरीमेनोपौज कहते हैं. मेनोपौज का मतलब आप के ‘मासिक पीरियड’ का अंत. पेरीमेनोपौज और मेनोपौज के दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं.
मेनोपौज के सिम्प्टम्स
- पीरियड में बदलाव जो आप के सामान्य पीरियड से भिन्न हो.
- हौट फ्लैशेज यानी शरीर के ऊपरी भाग में अचानक गरमी महसूस होना.
- नींद में समस्या.
- मूड चेंज.
- सैक्स के प्रति रुचि में बदलाव.
- योनि में बदलाव.
- ब्लैडर कंट्रोल में बदलाव, यह बदलाव ओएबी (ओवरऐक्टिव ब्लैडर का संकेत हो सकता है.)
ओएबी के सिम्प्टम्स
बारबार यूरिन करना, अचानक यूरिन करने की इच्छा, ब्लैडर कंट्रोल में कठिनाई और वाशरूम तक जाते समय कुछ मात्रा में यूरिन का लीक होना, रात में दो या दो से ज्यादा बार यूरिन करना.
ओएबी से होने वाली परेशानियां
ओएबी के चलते क्वालिटी औफ लाइफ, सैक्स एक्टिविटी, दैनिक कार्यप्रणाली और प्रोडक्टिविटी, सामाजिक जीवन, थकावट, डिप्रैशन, डिहाइड्रेशन, इन्फैक्शन और दुर्घटना यानी वाशरूम जाने की जल्दबाजी में गिरने की समस्या हो सकती है.
मेनोपौज और ब्लैडर कंट्रोल : एस्ट्रोजन का रिश्ता
मेनोपौज के कारण हुआ ओएबी स्त्रियों के मुख्य सैक्स हार्मोन एस्ट्रोजन में हुए बदलाव के चलते हो सकता है. एस्ट्रोजन सिर्फ सैक्स हैल्थ और प्रजनन के लिए ही जरूरी नहीं है, यह शरीर के अन्य अंगों (पेल्विक मसल, ब्लैडर और मूत्र नली) और टिश्यू हैल्थ के लिए भी जरूरी है. एस्ट्रोजन इन अंगों को मजबूत और फ्लेक्सिबल बनाए रखता है.
मेनोपौज में एस्ट्रोजन लैवल में काफी कमी आ जाती है, इसलिए इन अंगों के मसल और टिश्यू कमजोर हो जाते हैं. एस्ट्रोजन लैवल में कमी के चलते यूटीआई की भी संभावना रहती है.
ओएबी के अन्य कारण
बढ़ती उम्र में पेल्विक एरिया के मसल्स की कमजोरी के चलते भी ओएबी की समस्या हो सकती है. इस के अलावा प्रैग्नैंसी, प्रसव, किसी दुर्घटना से योनि में हुए बदलाव, दवा के साइड इफैक्ट, अत्यधिक कैफीन और अल्कोहल का सेवन भी ओएबी का कारण हो सकते हैं.
ओएबी को कैसे मैनेज करें
ओएबी में अचानक यूरिन आ रहा महसूस होता है. तब अकसर असंयमिता के चलते वाशरूम तक जातेजाते कुछ बूंदें लीक हो जाती हैं. इसे कुछ हद तक आप खुद मैनेज कर सकते हैं. इसे लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर और ऐक्सरसाइज द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है.
कीगल ऐक्सरसाइज : कीगल ऐक्सरसाइज को पेल्विक मसल ऐक्सरसाइज भी कहते हैं. इस का असर 6 से 8 सप्ताह के बाद महसूस होगा.
ब्लैडर ट्रेनिंग : इस के लिए जब यूरिन महसूस हो, उसे यथासंभव कुछ देर संयमपूर्वक रोक कर रखें.
डबल वौयडिंग : मूत्रत्याग के बाद कुछ मिनट इंतजार कर फिर यूरिन करें, ब्लैडर पूरी तरह खाली हो गया, इसे सुनिश्चित करें.
एब्जौर्बेंट पैड : इस पैड को पहनने से आप को बाथरूम तक जाने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा और यूरिन के लीक होने की संभावना नहीं रहेगी, साथ ही, कुछ देर रोक कर आप अन्य जरूरी एक्टिविटी कर सकते हैं.
वजन कंट्रोल : सामान्य से ज्यादा वजन के चलते ब्लैडर पर ज्यादा दबाव पड़ता है और यूरिन जल्दीजल्दी आता है, सो शरीर के वजन को नियंत्रित करें.
खानपान : कैफीन, अल्कोहल और अन्य कार्बोनेटेड ड्रिंक का सेवन न करें या कम से कम लें.
दवा
यदि ऐक्सरसाइज और उपरोक्त विधि से ओएबी कंट्रोल नहीं होता है तब डाक्टर की सलाह से दवा लें. इस से ब्लैडर रिलैक्स करेगा और ओएबी सिम्प्टम में कमी आएगी.
एस्ट्रोजन ट्रीटमैंट : मेनोपौज में एस्ट्रोजन की कमी दूर करने के लिए हार्मोन थेरैपी द्वारा इसे ठीक कर सकते हैं. हालांकि कुछ डाक्टरों का मानना है कि एस्ट्रोजन थेरैपी कोई कारगर तरीका नहीं है फिर भी कुछ महिलाओं का कहना है कि इस से उन्हें लाभ हुआ है.
डाइट कंट्रोल और ओएबी : ओएबी में ब्लैडर मसल कमजोर होने के कारण ब्लैडर फुल होने के पहले ही कौन्टैक्ट करने लगता है और बारबार यूरिन आता है.
रात्रि में पानी न पिएं : यथासंभव रात में पानी की मात्रा कम करें.
इन चीजों से परहेज करें
कुछ खाद्य पदार्थ खासकर ड्रिंक ब्लैडर, यूरेथ्रा और पेल्विक मसल को इरिटेट कर ओवरऐक्टिव ब्लैडर सिम्प्टम को और भी बढ़ा देते हैं.
- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, स्पोर्ट्स ड्रिंक और बीवरेज.
- कैफीन यानी चाय और कौफी.
- चौकलेट
- अल्कोहल.
- टमाटर और उस से बने सूप, कैचप और सौस.
- साइट्रस फल.
- मसालेदार चीजें, कच्चा प्याज, मधु, चीनी, फ्लेवर और प्रिजर्वेटिव वाले भोजन.
अगर आप ग्लूटेन (गेहूं, बार्ले आदि में पाया जाने वाला प्रोटीन) के प्रति संवेदनशील हैं तब ऐसे पदार्थ न खाएं, जैसे ब्रैड या ब्रैड से बनी चीजें, ब्रेकफास्ट सीरियल, ओट्स आदि. उपरोक्त चीजों का सेवन थोड़ी मात्रा में कभीकभी ही किया जा सकता है.
डाक्टर की सलाह कब लें
ओएबी के चलते आप की जिंदगी या दैनिक गतिविधियों में बाधा न पड़े, इस के लिए निम्न सिम्प्टम बढ़ने से पहले डाक्टर की सलाह लें-
- दिन में 8 बार से ज्यादा यूरिन करना.
- यूरिन करने के लिए रात में दो या ज्यादा बार रैगुलर उठना पड़े.
- यूरिन लीक होना.
- ओएबी के चलते आप को अपनी जरूरी दैनिक गतिविधियों से सम?ाता करना पड़ रहा हो आदि.