हमारी समान्य जीवनशैली में पेट दर्द, सिरदर्द या बुखार का होना आम है. जैसे ही ये परेशानियां होती हैं हम तुरंत कोई एंटीबायोटिक दवाई खा लेते हैं. इससे हमारी परेशानी तुरंत खत्म हो जाती है पर पीछे से एक बड़ी परेशानी के आने का दरवाजा खुल रहा होता है. कई जानकारों और चिकित्सकों ने इन दवाइयों के निरंतर सेवन से पेट की गंभीर बीमारियों के होने की चेतावनी दी है.
कुछ जानकारों का मानना है कि जरूरत से अधिक एंटीबायोटिक लेने से आपको पेट की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. इससे डायरिया का खतरा काफी बढ़ जाता है. इसके अलावा प्रो-इंफेक्शन इम्यूनिटी विकसित हो सकती है, इसका मतलब है कि आपके शरीर में हुआ इंफेक्शन जल्दी ठीक नहीं होगा.
वर्तमान में एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता विश्व के कुछ बड़े और गंभीर समस्याओं में से एक हो गई है. आज लोगों में एंटीबायोटिक दवाइयों से संबंधित जानकारी का अभाव है, जरूरी ये है कि लोगों को इससे जुड़ी जानकारी दी जाए और उन्हें जागरुक किया जाए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, एंटीबायोटिक दवाइयां, वायरस संक्रमण को रोकने और उनके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां हैं. एंटीबायोटिक तब कारगर नहीं होता, जब इनके जवाब में बैक्टीरिया अपना स्वरूप बदल लेता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो बिना जरूरत के एंटीबायोटिक लेने से इम्यूनिटी कमजोर होती है, जो कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है. लंबे समय तक एंटीबायोटिक लेने से उपजे संक्रमण से मरीज को अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है. बीमारी गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है.