आम सा लगने वाला सिरदर्द किसी गंभीर समस्या की दस्तक हो सकता है. कैमिस्ट से ली दवाइयों पर टिके रहने पर आप अपनी जान खतरे में डाल सकते हैं. जानें कि कब सिरदर्द को हलके में न ले कर डाक्टर से मिलना जरूरी है.
अकसर सिरदर्द होने पर हम कौंबिफ्लेम, डिस्प्रिन जैसी दर्दनिवारक गोलियां खा लेते हैं इस बात पर गौर किए बगैर कि सिरदर्द केवल एक लक्षण है. सिरदर्द के कई कारण हो सकते हैं. साधारण चिंता से ले कर ब्रेन ट्यूमर जैसे जानलेवा रोग का लक्षण सिरदर्द हो सकता है. हम आप को डरा नहीं रहे हैं, लेकिन जब सिरदर्द लगातार बना रहे, या कुछ समयांतरालों पर होता हो और दर्दनिवारक गोली खाने के बाद भी आराम न आए, तो डाक्टर से संपर्क करना जरूरी है.
इंग्लैंड के गेट्सहेड में 21 साल की जेसिका केन को अचानक सिरदर्द हुआ. वह पेनकिलर खा कर सोई और उस की मौत हो गई. दरअसल, जेसिका को मेनिंगोकौकल मेनिनजाइटिस और सेप्टिकैमिया नाम की बीमारी हो गई थी जिस ने उस की जान ले ली. इस के लक्षण के तौर पर उभरे सिरदर्द को न समझते हुए उस ने दर्दनिवारक गोली खा ली और सोचा कि थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा. लेकिन उस को ऐसा इंफैक्शन हो गया था जिस में बैक्टीरिया खून में प्रवेश करता है और बड़ी तेजी से फैलने लगता है. यह बैक्टीरिया खून में टौक्सिन्स रिलीज करने लगता है जो जानलेवा साबित हो गया.
दिल्ली के अनुज रमाकांत को बचपन से सिरदर्द की शिकायत रहती थी. मातापिता ने पहले सोचा कि स्कूल न जाने का बहाना बनाता है, उसे डांटडपट कर स्कूल भेज दिया जाता था. लेकिन वहां भी वह टीचर से सिरदर्द की शिकायत करता था. टीचर की सलाह पर मातापिता ने उसे आंखों के डाक्टर को दिखाया. अनुज को चश्मा लग गया, मगर फिर भी सिरदर्द से मुक्ति नहीं मिली. 2 वर्षों बाद पता चला कि उसे ब्रेन ट्यूमर है.