‘फैट मत खाइए, फैट बुरा है’, ‘खूब फैट खाइए, फैट अच्छा है’, ‘कुछ किस्म के फैट खाइए, लेकिन बुरे फैट से परहेज रखिए’. ये एक बहुत बड़ा कन्फ्यूजन है. जो हमारी नाश्ते की मेज से ले कर डिपार्टमेंटल स्टोर की रैक तक हमारे साथ रहती है. सुबह घर पर हम सोचते हैं कि टोस्ट पर बटर लगाएं या नहीं और दुकानों पर सोचते हैं कि बटर खरीदें कि नहीं. इतना भ्रम हर ओर होगा तो जाहिर है कि फैसला लेना कठिन हो जाएगा और साथ ही इस पहेली को सुलझाने के लिए हम नए स्रोतों की खेज करने लगते हैं.

फैट/वसा संबंधी कुछ तथ्यों पर नजर

फैट कई किस्म के होते हैं हमारा शरीर फालतू कैलोरीज के द्वारा खुद फैट बनाता है. वसा के बाहरी स्रोत पौधे और पशु हैं और इन से मिलने वाले फैट को डाइट्री फैट या आहारीय वसा कहते हैं. यह एक माइक्रोन्यूट्रीऐंट है जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. जिन फैट्स को खुराक में सीमित करना चाहिए वे हैं सैचुरेटिड फैट्स और ट्रांस फैट्स. सब से खराब किस्म की आहारीय वसा होती है. सैचुरेटिड और ट्रांसफैट, इन्हें उच्च कोलेस्ट्रौल, मोटापे और हृदय रोगों की वजह माना जाता है. वास्तव में ऐसी बहुत सी बीमारियां और विकार है जिन का रिश्ता इन फैट्स से बाताया जाता है किंतु इस का मतलब ये नहीं कि हमारे शरीर को इन की जरूरत नहीं होती.

फोर्टिस ग्रुप औफ हौस्पिटल, नई दिल्ली में वैलनैस एंड न्यूट्रीशन कंसल्टेंट डा. सिमरन सैनी के अनुसार, ‘‘शरीर के कार्यों और ऊर्जा के लिए वसा अति आवश्यक है. पेलिअनसैचुरेटिड फैट बहुत जरूरी वसा है जो एलडीएल नामक हानिकारक कौलेस्ट्रोल को कम करती है, दिमागी विकास में मददगार है, इंफ्लेमेशन को काबू करती है और त्वचा एवं बालों को स्वस्थ बनाती है. जबकि दूसरी ओर सैचुरेटिड और ट्रांस फैट हमारे खून में एलडीएल को बढ़ा कर हृदय रोग का जोखिम बढ़ाते हैं.’’

बटर और मार्जरिन के बीच चुनाव

बटर डेयरी उत्पाद है. इस में 50% सैचुरेटिड फैट और 4% ट्रांस फैट होता है. दूसरी ओर बटर के विकल्प मार्जरिन में 28% सैचुरेटिड फैट और एक प्रतिशत से भी कम 0.1 से 0.2%) ट्रांस फैट होता है.

अब सवाल यह है कि बटर या मार्जरिन या बटर के किसी अन्य विकल्प से हमारी सेहत पर वास्तव में कोई फर्क पड़ेगा? अमेरिकन कालेज औफ कार्डियोलौजी की पत्रिका में प्रकाशित स्टडी के अनुसार इस का जवाब है ‘हां’.

हारवर्ड टी एच यान स्कूल औफ पब्लिक हैल्थ ने 30 सालों तक लोगों के आहार का अध्ययन किया. शोधकर्ताओां ने पाया कि बटर जैसे सैचुरेटिड फैट के साथ मार्जरिन जैसे अनसैचुरेटिड फैट ‘हृदय रोग का जोखिम कम करने पर सब से अधिक प्रभावशाली रहे. सैचुरेटिड फैट्स कैलोरीज से भरपूर होते हैं और उन के बहुत ज्यादा सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रौल का स्तर बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ लोगों ने सैचुरेटिड फैटी ऐसिड के स्थान पर कार्बोहाइड्रेट से कैलोरी हासिल करनी शुरू की और कुछ ने ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक वसा को अपनाया.’

सैचुरेटिड फैट से मिलने वाली 5% ऊर्जा की जगह पर उतनी ही मात्रा में पोलिअन सैचुरेटिड फैट, मोनोअनसैचुरेटिड फैट या कार्बोहाइड्रेट (साबुत अनाज से) को अपनाने से हृदय धमनियों की बीमारी का खतरा क्रमशः 25%, 15% और 9% घट गया है.

डा. सैनी का कहना है, ‘‘मार्जरिन/बटर के विकल्प में ‘खराब’ सैचुरेटिड फैट कम होता है और दिल के लिए स्वास्थ्यकर फैट ज्यादा होता है. इस में कोलेस्ट्रोल नहीं होता. परंपरागत रूप से स्प्रैड व मार्जरिन या बटर विकल्प को हाइड्रोजिनेशन की प्रक्रिया के द्वारा बनाया जाता है. जिस के परिणामस्वरूप ट्रांस फैटी ऐसिड बनता है. यद्यपि, तकनीकी प्रगति के चलते उत्पाद को ठोस करने के लिए हाइड्रोजिनेशन की आवश्यकता नहीं पड़ती. जिस से ट्रांस फैटी ऐसिड की समस्या को खत्म करने में बड़ी मदद मिली है. गौरतलब है कि दुनिया में कुछ ही स्प्रैड ऐसे हैं जिन में हाइड्रोजिनेटिड फैट नहीं होते, इन में से कुछ भारत में उपलब्ध है.’’

इस के स्प्रैड्स की तुलना करते समय उस के पोषक तथ्यों के बारे में जरूर पढें और देखें कि उन में सैचुरेटिड व ट्रांस फैट्स कितने ग्राम है. कैलोरीज को सीमित करने के लिए उन की मात्रा को सीमित करें. मार्जरिन/बटर के विकल्प कोमल होते हैं और उन्हें फ्रिज से निकाल कर बिना परेशानी के इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि बटर सख्त हो जाता है. इसलिए, चर्बी कम करने और दिल की सेहत के लिए यह सर्वोत्तम विकल्प है.

इस एक स्वास्थ्यकर बदलाव को अपना कर हम बटर को बायबाय बोल सकते हैं और मार्जरिन/बटर के विकल्प को जीवनशैली में स्वागत कर सकते हैं. जिन लोगों को उच्च कोलेस्ट्रोल है या जिन के परिवार में हृदय रोग की समस्याएं रही हैं उन के लिए यह बहुत बढि़या विकल्प है. स्वास्थ्य और वजन की बेहतर देखभाल के लिए ज्यादा स्वास्थ्यकार आहार योजना का पालन करें, आखिरकार आप के कदम ही आप को आगे ले जाएंगे.

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