कुछ दिन पहले की बात है, मैं अस्पताल के बरामदे से निकल रहा था. 2 महिलाएं आपस में बातें कर रही थीं. पहली महिला दूसरी महिला से बोली कि बहन, क्या आज तुम्हारी अस्पताल से छुट्टी हो गई? तो दूसरी महिला ने बताया कि मैं ने डाक्टरनी से झूठ कहा कि यह मेरा तीसरा बच्चा है और तीनों में पहली 2 लड़कियां और यह पहला लड़का है, इसलिए मैं औपरेशन नहीं करवाना चाहती. इस पर पहली महिला ने आश्चर्य से कहा कि बहन, तुम्हारे तो 2 लड़कियां व 2 लड़के और हैं. यह तुम ने उन को क्यों नहीं बताया तो वह महिला हंस कर बात टाल गई. मैं थोड़ी देर वहीं ठिठक गया परंतु वे फिर कुछ न बोलीं. अभी कुछ माह पहले की ही बात है, वही महिला मेरे पास आई और पूछने पर पता लगा कि 2 माह से उस के पूरे शरीर की हड्डियों में दर्द है और 7 माह का गर्भ है. उस के चेहरे से व्यथा झलक रही थी. उस के पति ने बताया कि उसे सुबह बिस्तर से उठने में आधा घंटा लग जाता है और बहुत तकलीफ होती है. उठनेबैठने में उसे दूसरों का सहारा लेना पड़ता है.

जांच करने पर पता लगा कि अब वह इतनी कमजोर हो गई है कि कमजोरी का असर हड्डियों तक में हो गया है. अब वह औस्टियोमलेशिया से पीडि़त है. यह ऐसी बीमारी है जिस में हड्डियां कमजोर व नरम हो जाती हैं और कभीकभी थोड़े झटके से ही टूट जाती हैं. शरीर के सभी अंगों में दर्द होना इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है, खासकर कमर की हड्डियों में अधिक दर्द होता है. कम अंतर से बहुत बच्चे होने पर महिलाएं इस रोग की शिकार हो जाती हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी माताएं जिन के 6 या उस से अधिक बच्चे होते हैं, किसी भी समय परेशानियों में घिर सकती हैं. ऐसी महिलाओं के प्रति अधिक सतर्कता बरती जाए, इसलिए चिकित्सा विशेषज्ञ ऐसी महिलाओं को खतरनाक गर्भवती महिलाएं कहते हैं. ऐसी महिलाएं किसी भी समय नाटकीय दृश्य के समान अनेक समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं और इन के लक्षण अधिक खतरनाक होते हैं. जल्दीजल्दी संतान होने से महिलाओं के हृदय को अधिक काम करना पड़ता है जिस से मानसिक परेशानियां भी हो जाती हैं. ऐसी महिलाएं ब्लडप्रैशर की भी शिकार हो जाती हैं.

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