गुजरात क्रिकेट संघ यानी जीसीए ने अहमदाबाद के मोटेरा स्थित सरदार पटेल स्टेडियम को मेलबर्न की तर्ज पर दुनिया का सब से बड़ा आधुनिक स्टेडियम बनाने का फैसला लिया है. वर्तमान स्टेडियम को तोड़ कर नए रूप में आधुनिक टैक्नोलौजी का इस्तेमाल कर पुनर्निर्माण करना अच्छी बात है पर इस स्टेडियम को बनाने में लागत कितनी आएगी इस का सही अनुमान शायद अभी किसी के पास नहीं है. चिंता की बात इसलिए भी नहीं है क्योंकि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नगरी में यह कार्य हो रहा है ऊपर से जीसीए के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह हैं. अब तो आप को भी अंदाजा लग गया होगा कि स्टेडियम के निर्माण कार्य में कहीं भी रोड़ा आने वाला नहीं है.

हालांकि स्टेडियमों के निर्माण से जुड़ी एक सचाई यह भी है कि कौमनवैल्थ के दौरान जिन स्टेडियमों का निर्माण दिल्ली में किया गया और करोड़ोंअरबों रुपए लगाए गए, क्या उन स्टेडियमों का सही इस्तेमाल हो पा रहा है? आज वे सफेद हाथी साबित हो रहे हैं, उन के रखरखाव में लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. चीन या बाकी देश स्टेडियमों का इस्तेमाल बखूबी करना जानते हैं और खेलों के अलावा उन स्टेडियमों को अन्य दूसरे कार्यों में ले कर धन उगाही करते हैं ताकि अर्थव्यवस्था को ठीक करने में फायदा मिल सके. ऐसे ही भारत में भी स्टेडियमों का इस्तेमाल होना चाहिए. कम से कम इतना तो होना ही चाहिए ताकि रखरखाव का खर्च निकाल सके. मगर सरकारी कार्यक्रमों के अलावा यहां शायद ही दूसरे कार्यक्रमों के लिए हम अपने स्टेडियमों का इस्तेमाल कर पाते हों. खैर, जिस तरह हर स्टेडियम की अपनी कहानी है उसी तरह मोटेरा की भी अपनी कहानी है. 54 हजार दर्शकों की कूवत वाले स्टेडियम में मशहूर क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने टैस्ट मैचों में 10 हजार रन पूरे किए थे जबकि 7 साल बाद कपिलदेव ने अपना 432वां टैस्ट विकेट ले कर यहीं विश्व रिकौर्ड बनाया था. सोचने वाली एक बात यह भी है कि देश में आम लोग आज भी सर्दी हो या गरमी या फिर बरसात, सड़कों या पुलों के नीचे रहने को मजबूर हैं. उन के रहने के लिए छत तक नहीं है. ऐसे में वाहवाही या तारीफ के काबिल तब होते जब ऐसे लोगों के लिए छत होती.

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