उन आदिवासियों पर लोग हंसते और कहते थे कि पथरीली जमीन पर क्यों पसीना बहा रहे हो? लेकिन वे इतने जिद्दी थे कि उन का हौसला नहीं डिगा. मजबूत इरादों और जीतोड़ मेहनत से उन्होंने ऐसा कारनाम किया, जो दूसरे किसानों के लिए मिसाल बन गया. यहां बात हो रही है राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के सरूपगंज पहाड़ी इलाके की. देश में एक ओर जहां नदियों व नहरों को जोड़ने के लिए इंजीनियरिंग और तकनीकी पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बेतहाशा बहाए जा रहे हैं, वहीं सरूपगंज के भाखर गांव के पहाड़ी व आदिवासी इलाके में आदिवासियों का तकनीकी जुगाड़ इंजीनियरिंग विज्ञान को चुनौती दे रहा है. जुगाड़ तकनीक की लाजवाब मिसाल पेश करते हुए यहां के आदिवासी लोगों ने ऐसी नहर तैयार की है, जिस के जरीए इस इलाके से गुजरने वाली नदी के पानी को ये पहाड़ों के बीच बने अपने ऊंचाई वाले खेतों तक ले जाते हैं. लोकल बोलचाल में इस नहर को ‘सारण’ कहा जाता?है.

तकनीकी देशी जुगाड़

ये माहिर आदिवासी नदी में बहते पानी के बराबर एक नहर की खुदाई कर के पत्थरों व लकडि़यों से पानी को रोक कर उस की दिशा बदल देते हैं. नहर बनाते समय उस के घुमाव व सरफेस लेवल का पूरा ध्यान रखा जाता है, ताकि नदी से जब पानी का रुख नहर की ओर मोड़ा जाए तो उस का दबाव इस तरह बना रहे कि वह ऊपर तक चढ़ सके.

खजूर से बनाते हैं नेट

इस इलाके में काफी मात्रा में पाए जाने वाले खजूर के पेड़ों की टहनियों का नेट बना कर उस को रस्सी के सहारे बांध कर उस में वजनदार पत्थर रखा जाता है. इस नेट को नहर में खींचते हैं, जिस से यदि कहीं कोई रुकावट या काई का जाल हो तो नेट में फंस जाए और उसे बाहर निकाल लिया जाए. नहर बनाने में चूने या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया जाता, पत्थरों को ही अच्छे तरीके से इंटरलाक किया जाता है और साथ ही जंगली पत्तों की पाल बनाई जाती है, ताकि पानी का रिसाव न हो. सालों से चली आ रही तकनीक इलाके में पिछले रबी सीजन में ओले गिरने पर फसल बरबाद होने से किसान परेशान तो हैं, लेकिन बुलंद हौसले के साथ बनाई गई सारण यानी नहर के पानी से खेत सींचे जा रहे हैं, जल्द ही खेतों में गेहूं, चना, सौंफ व अरंडी वगैरह की फसलें लहलहाने लगेंगी. इलाके के सरपंच कन्हैयालाल ने बताया कि इस पहाड़ी इलाके में आदिवासियों की भरपूर मेहनत से बनी नहर के पानी से इलाके के किसान बारीबारी से जरूरत के अनुसार अपने खेतों की सिंचाई करते हैं. इस साल भी इलाके में तकरीबन 2 हजार हेक्टेयर एरिया इसी नहर से सींचा जाएगा.

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