लगातार गिरते जमीन के पानी  के स्तर से हुई पानी की कमी की वजह से जनता परेशान है. जमीन के पानी का सतर यों ही गिरता रहा तो धरती पर जीवन बचाना ही मुश्किल हो जाएगा. पानी का जिस प्रकार से अंधाधुंध इस्तेमाल किया जा रहा है, उस का खमियाजा आने वाली पीढि़यों को भी भुगतना पड़ेगा. मौसम में बदलाव, पानी के स्रोतों में कमी, प्रदूषण और जरूरत से ज्यादा पानी के इस्तेमाल के चलते पूरा देश जल संकट की चपेट में है. जमीन के पानी को बहुत ज्यादा निकालने से कई इलाके डार्क जोन में आ गए हैं. इसलिए पानी के लिए बरसात पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. फिर भी सरकारी महकमे, जिम्मेदार लोग और आम आदमी कुदरत के दिए पानी को सहेजना नहीं चाहते. सरकार की ओर से भी सही कार्ययोजना न होने की वजह से पानी को बचाने की कोशिशें नहीं हो पा रही हैं.

आज भारत ही नहीं पूरा संसार पानी को ले कर  परेशान है. मौसम में बदलाव, पानी के जरीयों में कमी, प्रदूषण और जरूरत से ज्यादा जमीन से पानी को निकालने के चलते सभी देश पानी के संकट की चपेट में हैं.

डराते हैं ये आंकड़े

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक, साल 2025 से पहले ही पूरे भारत में पानी का जबरदस्त दबाव पैदा हो जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या संगठन के मुताबिक साल 2054 तक 64 देशों के 4 अरब लोग यानी उस समय की 40 फीसदी जनता पानी की किल्लत से जूझ रही होगी. केंद्रीय भूजल बोर्ड के अनुमान के मुताबिक अगर जमीनी पानी के अंधाधुंध इस्तेमाल का सिलसिला यों ही जारी रहा, तो देश के 15 राज्यों में जमीन के अंदर का पानी 2025 तक पूरी तरह खत्म हो जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक हमारे देश में 2 करोड़, 10 लाख किसान फसलों की सिंचाई के लिए जमीन के पानी का इस्तेमाल करते हैं और कुल सिंचित इलाके में से 2 तिहाई में जमीनी पानी का इस्तेमाल होता है. देश में तकरीबन 40 करोड़ हेक्टेयर मीटर बारिश और बरफ गिरने से जमीनी पानी की मौजूदगी करीब 17 करोड़ 5 लाख हेक्टेयर मीटर है. जमीन की बनावट और दूसरी समस्याओं की वजह से इस में से केवल 50 फीसदी पानी का ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

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